जय दुर्गे जय दुर्गे(Jaya Durge): शक्ति, भक्ति, और सुरक्षा का मंत्र
जब कोई भक्त कठिन परिस्थिति में होता है, या मन में भय और घबराहट होती है, तो उनके मुख से ‘जय दुर्गे जय दुर्गे’ का मंत्र स्वतः ही निकलने लगता है। यह साधारण सा मंत्र भक्त के मन में असीम साहस और शक्ति भर देता है। आइए, इस मंत्र के महत्व और लाभों के बारे में जानते हैं।
जय दुर्गे जय दुर्गे – मंत्र
जय दुर्गे जय दुर्गे,
महिषविमर्दिनी जय दुर्गे ।
जय दुर्गे जय दुर्गे,
महिषविमर्दिनी जय दुर्गे ।
मंगलकारिणी जय दुर्गे,
जगज्जननी जय जय दुर्गे ।
मंगलकारिणी जय दुर्गे,
जगज्जननी जय जय दुर्गे ॥
वीणापाणिनी पुस्तकधारिणी,
अम्बा जय जय वाणी ।
जगदम्बा जय जय वाणी ॥
वीणापाणिनी पुस्तकधारिणी,
अम्बा जय जय वाणी ।
जगदम्बा जय जय वाणी ॥
वेदरूपिणी सामगायनी,
अम्बा जय जय वाणी ।
जगदम्बा जय जय वाणी ॥
वेदरूपिणी सामगायनी,
अम्बा जय जय वाणी ।
जगदम्बा जय जय वाणी ॥
जय दुर्गे जय दुर्गे मंत्र का महत्व
इस मंत्र का उच्चारण करने से माता दुर्गा भक्तों के सभी संकट दूर करती हैं। इससे भक्तों को:
- शत्रुओं से रक्षा मिलती है: मां दुर्गा अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करती हैं। इस मंत्र को जपने वाले भक्तों से उनके शत्रु भय खाते हैं।
- मन की शांति मिलती है: अगर आप बेचैन हैं या डरे हुए हैं, तो इस मंत्र का जाप कर के देखें। आपका मन धीरे-धीरे शांत होने लगेगा।
- बुरी शक्तियों से रक्षा होती है: कहते हैं कि जहाँ भी सच्चे मन से ‘जय दुर्गे जय दुर्गे’ मंत्र का जाप होता है, वहाँ से सारी बूरी शक्तियाँ दूर भाग जाती हैं।
जय दुर्गे जय दुर्गे मंत्र का जाप कैसे करें?
- स्वच्छता: इस मंत्र का जाप करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
- स्थान: मंदिर या घर के पूजा स्थल पर माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- जप: ‘जय दुर्गे जय दुर्गे’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
- भाव: जाप करते समय अपना सारा ध्यान माँ दुर्गा पर केंद्रित रखें।
जय दुर्गे जय दुर्गे मंत्र जाप का सबसे उत्तम समय
नवरात्रि के पावन दिनों में और संकट की घड़ी में इस मंत्र का जाप करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। अगर आप सच्चे मन से इसका जाप करेंगे, तो माँ दुर्गा आपकी पुकार अवश्य सुनेंगी।
मंत्र से जुड़ी मान्यताएं
- माना जाता है कि महाभारत काल में अर्जुन ने मां दुर्गा की स्तुति करने के लिए इसी मंत्र का जाप किया था। तभी से यह मंत्र अस्तित्व में है।
- कहते हैं कि जब माता दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, तो उनकी इस विजय के समय देवताओं ने ‘जय दुर्गे जय दुर्गे’ कहते हुए उनकी जय-जयकार की थी।
जप और भक्ति की शक्ति:
- मंत्रों का जाप करते समय उन्हें बार-बार दोहराया जाता है। ऐसा करने से एकाग्रता बढ़ती है और भक्त का मन ईश्वर के ध्यान में मग्न हो जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि ‘जय दुर्गे जय दुर्गे’ मंत्र का 108 बार जाप अत्यंत शुभफलदायी होता है।
- इसके साथ ही, जब हम कोई मंत्र पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जपते हैं, तो उसमें निहित शक्ति हमारे मन-मस्तिष्क और हृदय में समा जाती है।
मंत्र के अन्य स्वरूप:
- माँ दुर्गा की स्तुति के लिए ‘जय दुर्गे जय दुर्गे’ के अलावा और भी कई मंत्र प्रचलित हैं। जैसे: “ॐ डुं दुर्गायै नमः”
- आप माँ दुर्गा के किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं, लेकिन पूर्ण विश्वास और भक्ति के साथ करें।
भक्तों के अनुभव:
- बहुत से भक्त ऐसे हैं जिन्होंने ‘जय दुर्गे जय दुर्गे’ मंत्र की अद्भुत शक्ति का अनुभव किया है। एक भक्त ने बताया कि जब वे बहुत ही कठिन समय से गुज़र रहे थे, तब ‘जय दुर्गे जय दुर्गे’ के निरंतर जाप से उन्हें जीवन में फिर से आशा की किरण दिखाई दी।
- माँ दुर्गा का ऐसा दिव्य आशीर्वाद है कि इस शक्तिशाली मंत्र का जाप करने वाले कभी निराश नहीं होते हैं।
माँ दुर्गा आपका कल्याण करें!
हे मां! हमारे भी सिर पर अपना हाथ रखिए और हमें भय एवं चिंता से मुक्त करिए! आपको कोटि-कोटि प्रणाम! जय माँ दुर्गे!
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