मां कुष्मांडा(Maa Kushmanda): ब्रह्मांड की रचना करने वाली शक्ति – जानिए कथा, पूजा विधि, और मंत्र

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maa Kushmanda (मां कुष्मांडा)

परिचय

नवरात्रि के पवित्र पर्व के चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा रूप की पूजा की जाती है। देवी कुष्मांडा का यह रूप अत्यंत ही सौम्य और आनंददायी है। मान्यता है कि मां कुष्मांडा ने ही अपनी मंद, हल्की मुस्कान के द्वारा अंधकारमय ब्रह्मांड की रचना की थी। आइए, जानते हैं मां कुष्मांडा की विस्तृत कथा, पूजा विधि तथा मंत्र, और उनकी उपासना के लाभ।

मां कुष्मांडा कौन हैं?

मां कुष्मांडा, देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मांड जब अस्तित्व में नहीं था, तब चारों ओर केवल अंधकार था। तब, इन्हीं देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी। संस्कृत में ‘कुष्मांडा’ शब्द का अर्थ होता है ‘कद्दू’, जो इस देवी की पूजा में विशेष महत्व रखता है। कुछ विद्वान मानते हैं कि कुष्मांडा ‘कुम्हड़ा’ (कद्दू की एक प्रजाति) से बना है। इसीलिए ही इन्हें कुष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है।

मां कुष्मांडा की कथा: सृष्टि की उत्पत्ति

  • अंधकार-युक्त ब्रह्मांड: एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब कोई सृष्टि अस्तित्व में नहीं थी, उस समय चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा था। ऐसी स्थिति में देवी आदिशक्ति ने सृष्टि की रचना करने का निश्चय किया।
  • हंसी से ब्रह्मांड का सृजन: देवी के ब्रह्मांड में प्रकाश फैलाने के लिए उनकी हंसी से एक अंडा उत्पन्न हुआ। इसी अंडे के विस्तृत होने से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ। यही कारण है कि मां कुष्मांडा को सृष्टि की आदि-स्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है।
  • ब्रह्मांड को प्रकाशित करने का कार्य: अंधकारमय ब्रह्मांड को प्रकाश से भरने का कार्य माँ कुष्मांडा करती हैं। इसी कारण सूर्यमंडल के भीतर के लोक में इनका निवास माना जाता है।
  • ‘कुष्मांडा’ नाम की उत्पत्ति ‘कुष्मांडा’ शब्द का प्रयोग उस कद्दू की सब्जी के लिए होता है जो देवी को भोग के स्वरूप में प्रिय है। कुछ विद्वानों का मानना है कि माता कुष्मांडा ‘कुम्हड़ा’ (कद्दू की एक प्रजाति) से उत्पन्न हुई थीं।

कुष्मांडा कथा के प्रमुख बिंदु

  • माँ कुष्मांडा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया है और वह सृष्टि की आदि-स्वरूपा और आदिशक्ति मानी जाती हैं।
  • माता अपनी मंद हंसी से ब्रह्मांड की रचना करके उसमें प्रकाश फैलाती हैं।
  • माँ कुष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं।

मां कुष्मांडा का स्वरूप

मां कुष्मांडा का स्वरूप बेहद ही तेजस्वी और भव्य है। उनकी आठ भुजाएं (हाथ) हैं, इसलिए ये अष्टभुजा के नाम से भी जानी जाती हैं। मां अपने सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा धारण करती हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला विराजमान है। मां कुष्मांडा का वाहन सिंह है।

कुष्मांडा पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा के रूप की पूजा की जाती है।

  • सबसे पहले देवी कुष्मांडा को स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र पहनाएं।
  • उन्हें रोली, अक्षत, सिंदूर अर्पित करें।
  • सफ़ेद या हरे रंग के फूल, धूप, दीप, फल, नैवेद्य आदि से उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करें।
  • कुष्मांडा मंत्र तथा आरती का पाठ करें।
  • कुम्हड़े (कद्दू) का भोग लगाना विशेष फलदायी होता है।

पूजन सामग्री

मां कुष्मांडा की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

1. मूर्ति या चित्र: मां कुष्मांडा की मूर्ति या चित्र पूजा के लिए आवश्यक है।

2. फूल: सफेद या हरे रंग के फूल, जैसे कि चमेली, गुलाब, या कमल, मां कुष्मांडा को अर्पित किए जाते हैं।

3. धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है।

4. रोली, अक्षत, और सिंदूर: रोली, अक्षत, और सिंदूर देवी को चढ़ाए जाते हैं।

5. शहद: शहद देवी को मिठाई के रूप में चढ़ाया जाता है।

6. चीनी: चीनी भी देवी को मिठाई के रूप में चढ़ाई जाती है।

7. कमलगट्टा: कमलगट्टा देवी को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाया जाता है।

8. फल: विभिन्न प्रकार के फल देवी को भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं।

9. नैवेद्य: नैवेद्य देवी को भोजन के रूप में चढ़ाया जाता है। नैवेद्य में खीर, हलवा, या अन्य मिठाईयां शामिल हो सकती हैं।

10. पान: पान देवी को अर्पित किया जाता है।

11. सुपारी: सुपारी देवी को अर्पित की जाती है।

12. दक्षिणा: दक्षिणा देवी को दान के रूप में दी जाती है।

13. वस्त्र: सफेद या हरे रंग के वस्त्र देवी को चढ़ाए जाते हैं।

14. आभूषण: देवी को आभूषण भी चढ़ाए जा सकते हैं।

15. जप माला: जप माला देवी की पूजा के लिए उपयोग की जाती है।

मां कुष्मांडा मंत्र

ॐ देवी कूष्माण्डायै नम:

अर्थात, ओमकार स्वरूप वाली, अमृत से परिपूर्ण कलश को धारण करने वाली और कमल पुष्प से युक्त तेजोमय मां कूष्मांडा के चरणों में हम सभी नमन करते हैं।

मां कुष्मांडा से मिलने वाले लाभ: विस्तृत जानकारी

  • मान्यता है कि मां कुष्मांडा अपने भक्तों के सभी पापों और रोगों को दूर कर उन्हें मोक्ष प्रदान करती हैं।
  • देवी भक्तों के स्वास्थ्य, धन, और बल में वृद्धि करती हैं।
  • कुष्मांडा माता की साधना से भक्तों को निर्णय लेने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
  • इनकी पूजा से भक्तों का आयु, यश, बल और आरोग्य (स्वास्थ्य) बढ़ता है।

भक्तों के अनुभव

मां कुष्मांडा के भक्तों ने कई प्रकार के अनुभव किए हैं। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाला है। अन्य भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें ज्ञान और शक्ति प्रदान की है। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उनकी मनोकामनाएं पूरी की हैं।

यहां कुछ भक्तों के अनुभव दिए गए हैं:

  • एक भक्त ने बताया कि वह कई सालों से नौकरी नहीं ढूंढ पा रहे थे। उन्होंने मां कुष्मांडा की पूजा शुरू की और कुछ ही महीनों में उन्हें अच्छी नौकरी मिल गई।
  • एक अन्य भक्त ने बताया कि वह एक परीक्षा में फेल हो गए थे। उन्होंने मां कुष्मांडा की पूजा शुरू की और अगली बार उन्होंने परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
  • एक तीसरे भक्त ने बताया कि वह एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। उन्होंने मां कुष्मांडा की पूजा शुरू की और कुछ ही महीनों में वे पूरी तरह से ठीक हो गए।

नवरात्रि का चौथा दिन: मां कुष्मांडा की आराधना

नवरात्रि में चौथे दिन भक्तों को मां कुष्मांडा की उपासना में तल्लीन होना चाहिए। माँ अपने भक्तों के सभी कष्टों को हरकर उनके जीवन में खुशहाली लाती हैं। आईए, हम सब मां कुष्मांडा के चरणों में अपना मन समर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।


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