ॐ जय जगदीश हरे आरती 

पर purva gudekar द्वारा प्रकाशित

om jai jagdish hare

परिचय

हिंदू धर्म में आरती का विशेष महत्व है। आरती देवी-देवताओं की स्तुति के लिए भक्तिभाव से गाया जाने वाला एक भजन है। आरतियों के माध्यम से हम ईश्वर का गुणगान करते हैं और अपनी भक्ति व प्रेम उन तक पहुंचाते हैं। इन्हीं आरतियों में से एक है ‘ॐ जय जगदीश हरे आरती’। भगवान विष्णु को समर्पित यह आरती हिंदू घरों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय एवं गाई जाने वाली आरतियों में है।

ॐ जय जगदीश हरे आरती के बोल (Lyrics)

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥

ॐ जय जगदीश हरे आरती का अर्थ

इस आरती में हम भगवान विष्णु, जो पालनहार हैं और संसार के स्वामी हैं, को नमन करते हैं। हम उनसे दुखों के सागर से पार उतारने और अपनी शरण में लेने की विनती करते हैं। हम यह भी कहते हैं कि सच्चे मन से भगवान का ध्यान करने वालों को सभी सुख मिलते हैं, मन के दुख दूर हो जाते हैं, और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

ॐ जय जगदीश हरे आरती का महत्व

  • भगवान विष्णु से जुड़ाव का साधन: यह आरती हमें भगवान विष्णु, जगत के रक्षक से जोड़े रखती है।
  • भक्तिभाव: इस आरती से हमारे हृदय में भक्तिभाव का संचार होता है।
  • दिव्यता एवं सकारात्मकता: इस आरती से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

ॐ जय जगदीश हरे आरती करने की विधि

  1. शुद्धि: आरती शुरू करने से पहले आचमन करके शुद्ध हो जाएं।
  2. तैयारी: एक आसन लगाएं, भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति रखें, और पूजा की सामग्री (दीप, धूप, फूल, फल, मिठाई आदि) इकट्ठी कर लें।
  3. आरती: दीपक जलाएं, घंटी बजाएं और श्रद्धा भाव से पूरी आरती गाएं।

ॐ जय जगदीश हरे आरती से जुड़ी पौराणिक कथाएं

कथा 1: प्रह्लाद और भगवान विष्णु

यह सबसे प्रसिद्ध कथा है जो ‘ॐ जय जगदीश हरे आरती’ से जुड़ी है।

कथा:

प्रह्लाद, हिरण्यकश्यप नामक एक दैत्य राजा का पुत्र था। हिरण्यकश्यप अत्यंत अहंकारी था और स्वयं को ही ईश्वर मानता था। वह चाहता था कि सभी लोग उसकी पूजा करें, यहां तक कि उसका पुत्र प्रह्लाद भी।

लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार उनकी रक्षा की।

एक बार, हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को एक स्तंभ से टकराकर मारने का प्रयास किया। स्तंभ फट गया और भगवान विष्णु, नृसिंह रूप में प्रकट हुए, उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया।

इस घटना के बाद, प्रह्लाद ने अपने पिता की मृत्यु पर शोक व्यक्त करने के बजाय, भगवान विष्णु की स्तुति में यह आरती गाई।

कथा 2: भक्त मीरा और भगवान विष्णु

कथा:

मीरा, राजा भोज की पत्नी थीं, लेकिन उनका मन सांसारिक सुखों से हटकर भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था। राजा भोज और उनके दरबारियों को मीरा की भक्ति पसंद नहीं थी।

उन्होंने मीरा को कई बार प्रताड़ित किया, लेकिन मीरा विचलित नहीं हुईं।

एक दिन, मीरा ने एक जहर का प्याला पी लिया, जिसे उनके शत्रुओं ने उन्हें भगवान विष्णु की मूर्ति समझकर भोग लगाने के लिए दिया था।

लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से, जहर अमृत बन गया और मीरा का जीवन बच गया।

इसके बाद, मीरा वृंदावन चली गईं और अपना शेष जीवन भगवान विष्णु की भक्ति में बितायां।

यह कहा जाता है कि मीरा ने भी ‘ॐ जय जगदीश हरे आरती’ की रचना की थी।

इन दो प्रचलित कथाओं के अलावा, ‘ॐ जय जगदीश हरे आरती’ से जुड़ी कई अन्य कथाएं भी प्रचलित हैं।

यह आरती भगवान विष्णु की भक्ति और उनकी दयालुता का प्रतीक है।

ॐ जय जगदीश हरे आरती के लाभ

  • मन की शांति मिलती है।
  • आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ता है।
  • सकारात्मक वातावरण बनता है।
  • मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है।
  • विपत्तियों से रक्षा होती है।

ॐ जय जगदीश हरे आरती से जुड़े प्रश्न (FAQs)

  • आरती का सबसे अच्छा समय क्या है? सुबह और शाम की पूजा के समय इसे गाना सबसे शुभ माना जाता है। हालांकि, भगवान विष्णु की भक्ति के लिए कोई भी समय उपयुक्त है।
  • आरती के दौरान किन बातों का ध्यान रखें? आरती करते हुए मन में श्रद्धा और भक्ति का भाव रखना आवश्यक है। आरती के शब्दों और भगवान विष्णु के स्वरूप पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • क्या इस आरती को सुनने से भी उतना ही लाभ मिलता है जितना गाने से? जी हां, इस आरती को भक्तिभाव से सुनने से भी मन को शांति मिलती है और सकारात्मकता आती है। श्रद्धापूर्वक सुनने मात्र से भी इसका लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
  • क्या आरती के समय खड़े होना या बैठना आवश्यक है? आरती खड़े होकर या बैठकर की जा सकती है। यदि आप शारीरिक रूप से असमर्थ हैं, तो बैठकर भी आरती की जा सकती है। भक्ति-भाव महत्वपूर्ण है, शारीरिक मुद्रा से ज्यादा।

इसे भी जानें

  • ॐ जय जगदीश हरे आरती के गायक (Singers): आप चाहें तो पाठकों को प्रसिद्ध गायकों के बारे में जानकारी दे सकते हैं जिन्होंने इस आरती को खास तौर पर गाया है, जैसे अनुराधा पौडवाल, लता मंगेशकर, हरिहरन इत्यादि।
  • ॐ जय जगदीश हरे आरती कहां सुने (Where to Listen): आप ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स (YouTube, भक्ति-संगीत ऐप्स) का भी जिक्र कर सकते हैं जहां पाठक ॐ जय जगदीश हरे आरती को सुन सकते हैं।

पाठकों के लिए एक संदेश

‘ॐ जय जगदीश हरे आरती’ एक शक्तिशाली और भक्ति से भरा भजन है जो हमें भगवान विष्णु से जोड़ता है और हमारे मन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। इस आरती को नियमित रूप से सच्चे मन से गाएं या सुनें और इसके दिव्य प्रभावों को स्वयं महसूस करें।

मुझे आशा है कि इस ब्लॉग ने आपको ‘ॐ जय जगदीश हरे आरती’ का महत्व समझने में और इसे अपनी साधना में शामिल करने के लिए प्रेरित किया होगा। यदि आप इस आरती से संबंधित कोई अनुभव या कहानी साझा करना चाहें तो कृपया कमेंट करें।


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