श्री शनि देव: आरती कीजै नरसिंह कुंवर की

पर purva gudekar द्वारा प्रकाशित

shani dev ki aarti

श्री शनि देव

नमस्कार दोस्तों! शनि का नाम सुनते ही लोगों के मन में अक्सर नकारात्मक भावनाएं और भय आ जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि देव, जिन्हें न्याय के देवता माना जाता है, आप पर सकारात्मक प्रभाव भी डाल सकते हैं? उनकी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करने से जीवन की कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। आइए, श्री शनि देव के जीवन, उनकी पूजा करने का महत्व, और उनकी प्रसिद्ध आरती “आरती कीजै नरसिंह कुंवर की” के बारे में जानते हैं।

श्री शनि देव की आरती (Shani Dev Aarti)

आरती कीजै नरसिंह कुंवर की ।
वेद विमल यश गाउँ मेरे प्रभुजी ॥

पहली आरती प्रह्लाद उबारे ।
हिरणाकुश नख उदर विदारे ॥

दुसरी आरती वामन सेवा ।
बल के द्वारे पधारे हरि देवा ॥

तीसरी आरती ब्रह्म पधारे ।
सहसबाहु के भुजा उखारे ॥

चौथी आरती असुर संहारे ।
भक्त विभीषण लंक पधारे ॥

पाँचवीं आरती कंस पछारे ।
गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले ॥

तुलसी को पत्र कंठ मणि हीरा ।
हरषि-निरखि गावे दास कबीरा ॥

श्री शनि देव की पूजा का महत्व

  • शनि दोष का निवारण: शनि दोष ज्योतिष में एक नकारात्मक स्थिति है जो शनि ग्रह के प्रतिकूल होने पर होती है। शनि दोष दूर करने के लिए शनि देव की पूजा उत्तम मानी गई है।
  • नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा: कहा जाता है कि शनि देव की पूजा करने से सभी तरह की नकारात्मकता और बुराइयों से सुरक्षा मिलती है।
  • समृद्धि और भाग्य: शनि देव अपने भक्तों पर खुश हो कर, समृद्धि, सुखी जीवन और भाग्य प्रदान करते हैं।
  • मन की शांति: शनि देव की पूजा आंतरिक शांति का मार्ग खोजने में मदद करती है। जीवन में चल रही चुनौतियों का सामना करने के लिए मन में स्थिरता और शक्ति मिलती है।

शनि देव की पूजा विधि (Pujan Vidhi)

शनि देव की पूजा विधि बहुत सरल है और इसे श्रद्धाभाव से किया जा सकता है। शनिवार के दिन शनि पूजा का विशेष महत्व है। पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
  2. एक शांत जगह पर बैठ जाएं और शनि देव की मूर्ति या तस्वीर को सामने स्थापित करें।
  3. अगर संभव हो तो शनि यंत्र की भी स्थापना करें।
  4. सरसों के तेल का दीया जलाएं एवं धूप-अगरबत्ती लगाएं।
  5. शनिदेव को काले फूल, काली उड़द या काले तिल चढ़ाएं।
  6. उनकी आरती करें और शनि मंत्रों का जाप करें।
  7. शनि चालीसा अथवा शनि कथा का पाठ करें।
  8. पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद बांटें।

शनि देव की प्रार्थना के लाभ

शनि देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के अनेक लाभ हैं:

  • जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
  • करियर में प्रगति मिलती है।
  • मानसिक और भावनात्मक शक्ति मिलती है।
  • घर में सुख-शांति आती है।
  • रोगों और दुखों से मुक्ति मिलती है।

शनि देव के कुछ महत्वपूर्ण मंत्र इस प्रकार हैं:

  • शनि गायत्री मंत्र: ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनि: प्रचोदयात्॥
  • शनि मूल मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:॥
  • शनि तांत्रिक मंत्र ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् ॥

शनि देव की कथा (Shani Dev Katha)

शनि देव से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है:

जब शनि देव का जन्म हुआ, तो उन्होंने सूर्य देव (अपने पिता) को देखा। शनि देव की दृष्टि इतनी शक्तिशाली थी कि सूर्य देव का शरीर काला पड़ने लगा। सूर्य देव यह नहीं सह सके और अपनी पत्नी छाया को शनि के देखभाल की जिम्मेदारी देकर, वहां से चले गए। छाया ने शनिदेव की ओर उचित ध्यान नहीं दिया। इस कारण शनि देव अपनी सौतेली माता से नाराज हो गए और उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। तप से खुश होकर भगवान शिव ने शनि देव को नवग्रहों में स्थान दिया और उन्हें कर्मफल दाता के रूप में नियुक्त किया।

शनि देव महाराज से जुड़े भक्तों के अनुभव (Devotee Stories)

कई भक्तों ने शनि देव की पूजा और कृपा के बाद अपने जीवन में आश्चर्यजनक सकारात्मक बदलावों का अनुभव किया है। कुछ लोग मानते हैं कि शनि देव की पूजा से उनकी पुरानी परेशानियां दूर हो गईं, तो कुछ का कहना है कि उन्हें लंबे समय से चली आ रही बीमारियों से राहत मिली। शनि देव की भक्ति से जुड़े ऐसे अनेक अनुभव सुनने और पढ़ने को मिलते हैं।

शनि देव के व्रत और पूजन से जुड़े प्रश्न (FAQs)

  1. शनि पूजा का सर्वोत्तम समय क्या है? शनि पूजा का सबसे अच्छा समय शनिवार का सूर्यास्त या शनि होरा है।
  2. शनि यंत्र क्या है और इसके क्या लाभ हैं? शनि यंत्र एक ज्यामितीय आकृति है जो शनि देव की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती है। इसे घर या कार्यस्थल पर रखने से शनि ग्रह की नकारात्मकता को कम करने और उसके सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने में फायदा होता है।
  3. शनि देव की साढ़ेसाती और ढैय्या क्या है? ज्योतिष में साढ़ेसाती और ढैय्या शनि ग्रह की उन स्थितियों को कहा जाता है जिनके दौरान शनि का प्रभाव व्यक्ति पर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है। शनिदेव की पूजा-उपासना कर इन प्रभावों को कम किया जा सकता है।

याद रखने योग्य बातें

  • हालांकि शनिदेव को न्याय के देवता माना जाता है, उन्हें क्रूर या दंड देने वाला नहीं समझना चाहिए। वे हर व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर सही मार्ग दिखाते हैं।
  • शनि देव की पूजा श्रद्धा और विश्वास से करें। भयभीत होकर पूजा करने से लाभ नहीं होता।
  • भक्ति के साथ–साथ सेवा करना भी जरूरी है। निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करने से शनिदेव अधिक प्रसन्न होते हैं।

निष्कर्ष

शनि देव हिंदू धर्म में न सिर्फ एक महत्वपूर्ण देवता हैं, बल्कि ज्योतिष में भी उनका विशेष स्थान है। सच्ची लगन और निस्वार्थ भक्ति से शनिदेव की पूजा से जीवन के कठिन दौर में भी मार्गदर्शन मिलता है और बाधाएं दूर होती हैं। शनि देव का मूल मंत्र है उचित कर्म और निष्पक्षता का मार्ग अपनाना।

मुझे आशा है कि यह ब्लॉग श्री शनि देव के बारे में व्यापक जानकारी देता है और आपके मन में उनके प्रति श्रद्धा को बढ़ाता है! जय शनि देव!


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