दुर्गा पूजा पुष्पांजलि (Durga Pooja Puspanjali): माँ दुर्गा को प्रसन्न करने का पावन अनुष्ठान

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दुर्गा पूजा भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है, खासकर पूर्वी भारत में इस त्योहार को श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के मुख्य अनुष्ठानों में से एक है पुष्पांजलि, जो कि माँ दुर्गा के प्रति भक्ति और समर्पण का एक विशेष प्रतीक है। इस ब्लॉग में, हम आपको बताएंगे कि पुष्पांजलि की विधि क्या है, इसका महत्व क्या है, और इसका पाठ कैसे किया जाता है।

क्या है पुष्पांजलि?

पुष्पांजलि का अर्थ है फूलों से अर्चना करना। दुर्गा पूजा के पावन दिनों में, भक्त माँ दुर्गा को सुंदर और सुगंधित फूल अर्पित करते हैं। यह माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए एक भक्ति-भाव भरा अनुष्ठान है।

पुष्पांजलि का महत्व

पुष्पांजलि द्वारा व्यक्ति माँ दुर्गा को अपनी श्रद्धा और भक्ति अर्पित करता है। पुष्पांजलि करने से:

  • भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
  • भक्त माँ दुर्गा का प्रिय बन जाता है।

पुष्पांजलि मंत्र

पुष्पांजलि के समय एक विशेष मंत्र का जाप किया जाता है:

प्रथम पुष्पांजली मंत्र
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी ।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥

द्वितीय पुष्पांजली मंत्र
ॐ महिषघ्नी महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी ।
आयुरारोग्यविजयं देहि देवि! नमोऽस्तु ते ॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः ॥

तृतीया पुष्पांजली मंत्र
ॐ सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते ॥१॥

सृष्टि स्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि! नमोऽस्तु ते ॥२॥

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोऽस्तु ते ॥३॥

इस मंत्र में माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के नामों का उच्चारण होता है। प्रत्येक नाम के साथ भक्त माता के चरणों में अलग-अलग तरह के पुष्प अर्पित करते हैं।

पुष्पांजलि की विधि

  1. तैयारी: पहले से ताज़े फूल खरीद कर लाएं। दुर्गा प्रतिमा के सामने एक स्वच्छ कपड़ा बिछा दें, जिस पर आप फूल अर्पित कर सकें।
  2. शुद्धता: पुष्पांजलि करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
  3. संकल्प: सबसे पहले अपनी कामना का मन में संकल्प लें।
  4. पुष्प अर्पित करें: पुष्पांजलि मंत्र का उच्चारण करते हुए बारी-बारी से माता के चरणों में अलग-अलग तरह के फूल अर्पित करें।
  5. प्रार्थना करें: पुष्पांजलि पूर्ण होने के बाद माँ दुर्गा से सच्चे मन से प्रार्थना करें।

पुष्पांजलि में अर्पित किए जाने वाले पुष्प:

हिंदू धर्म में पुष्पों का विशेष महत्व है। देवी-देवताओं को पुष्प अर्पित करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। दुर्गा पूजा के दौरान भी पुष्पांजलि एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।

पुष्पांजलि में अर्पित किए जाने वाले कुछ प्रमुख पुष्प:

  • गुड़हल: लाल रंग का यह फूल माँ दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है।
  • कमल: इस पवित्र फूल को देवी लक्ष्मी से भी जोड़ा जाता है। इसे अर्पित करने से भक्त पर धन-धान्य की वर्षा होती है।
  • गेंदा: पीले और नारंगी रंग में उपलब्ध गेंदे का फूल मां के तेज और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
  • गुलाब: लाल, गुलाबी, पीले या सफेद रंग के गुलाब का फूल प्रेम, भक्ति और सौंदर्य का प्रतीक है।
  • चंपा: सफेद रंग का यह सुगंधित फूल माँ दुर्गा को अत्यंत प्रिय है।
  • मोगरा: सफेद रंग का यह छोटा और सुगंधित फूल भक्ति और विनम्रता का प्रतीक है।
  • बेल: सफेद रंग का यह फूल शुभता और पवित्रता का प्रतीक है।
  • जैस्मिन: सफेद रंग का यह सुगंधित फूल माँ दुर्गा को अत्यंत प्रिय है।
  • कनेर: लाल रंग का यह फूल माँ दुर्गा की शक्ति और वीरता का प्रतीक है।

इनके अलावा, आप अपनी पसंद के अनुसार अन्य पुष्प भी अर्पित कर सकते हैं।

दुर्गा पूजा पुष्पांजलि का शुभ समय

दुर्गा पूजा पर्व की अष्टमी और नवमी को पुष्पांजलि करना बेहद शुभफलदायी माना जाता है। अगर आप किसी मुसीबत में हैं, तो माँ दुर्गा की शरण में जाएं और पुष्पांजलि अर्पित करें। सच्चे हृदय से पुष्पांजलि करने से भक्तों पर माता की कृपा अवश्य बरसती है।

दुर्गा पूजा से जुड़ी अन्य रचनाएं

  • दुर्गा सप्तशती: यह संस्कृत का ग्रंथ माँ दुर्गा की शक्ति और देवी के विभिन्न स्वरूपों का प्रतीक है।
  • दुर्गा चालीसा: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से भक्तों को अनेकों लाभ होते हैं।
  • देवी कवच: यह मंत्र दुर्गा कवच के नाम से प्रसिद्ध है। इसका पाठ करने से सभी तरह के संकट दूर होते हैं।

माँ दुर्गा सबकी रक्षा करें!

हे माँ दुर्गा! हम सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें! हम सभी की मनोकामनाएं आप ही पूरी कर सकती हैं। जय माँ दुर्गा!


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