अष्टमी व्रत (Ashtami Vrat): देवी शक्ति को समर्पित पर्व

पर Shreya Dwivedi द्वारा प्रकाशित

ashtami vrat

नमस्कार दोस्तों! हिंदू चंद्र पंचांग का आठवां दिन, अष्टमी, बहुत ही शुभ तिथि मानी जाती है। हर महीने में दो बार पड़ने वाली अष्टमी (कृष्ण और शुक्ल पक्ष में), कई विशेष व्रतों और त्योहारों से जुड़ी हुई है। क्या आप अष्टमी व्रत का महत्व और विधि जानना चाहते हैं? आइए, इस ब्लॉग में विस्तार से जानें!

अष्टमी: परिचय

इस का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। यह हिंदू चंद्र पंचांग का आठवां दिन है और हर महीने में दो बार आती है – कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष।

अष्टमी तिथि देवी दुर्गा, जिन्हें माँ शक्ति के नाम से भी जाना जाता है, को समर्पित एक विशेष दिन है। मान्यता के अनुसार, अष्टमी के दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से देवी दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। अष्टमी व्रत रखने से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं, सुख-समृद्धि बढ़ती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

अष्टमी के प्रकार

प्रसिद्ध अष्टमी व्रत इस प्रकार हैं:

  • दुर्गाष्टमी
  • राधाष्टमी
  • सीताष्टमी
  • कालाष्टमी

अष्टमी तिथियां वर्ष 2024 में

हाँ, आप सही कह रहे हैं।

यहां वर्ष 2024 में पड़ने वाली अष्टमी तिथियों की सूची दी गई है:

कृष्ण पक्ष अष्टमी

  • जनवरी: 04, 19
  • फरवरी: 02, 17
  • मार्च: 04, 18
  • अप्रैल: 01, 16
  • मई: 31
  • जून: 15, 30
  • जुलाई: 14, 29
  • अगस्त: 13, 28
  • सितंबर: 12, 27
  • अक्टूबर: 11, 26
  • नवंबर: 10, 25
  • दिसंबर: 09, 24

शुक्ल पक्ष अष्टमी

  • जनवरी: 18
  • फरवरी: 02, 17
  • मार्च: 05, 19
  • अप्रैल: 02, 17
  • मई: 01, 16
  • जून: 16, 31
  • जुलाई: 15, 30
  • अगस्त: 14, 29
  • सितंबर: 13, 28
  • अक्टूबर: 12, 27
  • नवंबर: 11, 26
  • दिसंबर: 10, 25

विशेष अष्टमी तिथियां:

  • दुर्गाष्टमी: 13 जून, 10 नवंबर
  • राधाष्टमी: 05 सितंबर
  • सीताष्टमी: 04 मार्च
  • कालाष्टमी: 04 जनवरी, 02 फरवरी, 04 मार्च, 01 अप्रैल, 31 मई, 15 जून, 14 जुलाई, 13 अगस्त, 12 सितंबर, 11 अक्टूबर, 10 नवंबर, 09 दिसंबर

अष्टमी व्रत का महत्व

हिन्दू धर्म में अष्टमी व्रत को बहुत महत्व दिया जाता है। इनके कुछ लाभ इस प्रकार हैं:

  • माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य आता है।

अष्टमी व्रत विधि

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
  2. माँ दुर्गा के मंदिर जाएं या घर में ही पूजा स्थान स्थापित करें
  3. माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर पर जल, पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन अर्पित करें।
  4. धूप-दीप जलाकर ‘दुर्गा चालीसा’, ’दुर्गा सप्तशती’ का पाठ करें या माँ दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।
  5. कथा सुनें या पढ़ें
  6. आरती करें और प्रसाद बाँटे ।

अष्टमी व्रत: पूजा सामग्री की पूरी सूची

  • मूर्ति या तस्वीर: देवी दुर्गा की एक मूर्ति या चित्र।
  • धूप-बत्ती: पूजा के लिए सुगंध और वातावरण को शुद्ध करने के लिए।
  • दीपक और तेल/घी: आरती और प्रकाश के लिए एक दीपक आवश्यक है। तेल या घी भरने के लिए एक छोटी कटोरी या अलग दीपक रख सकते हैं।
  • कुमकुम, रोली, चंदन: तिलक लगाने के लिए।
  • अक्षत (बिना टूटे हुए चावल): देवी को अर्पित करने के लिए।
  • फूल और मालाएं: पूजा के लिए ताज़े और सुगंधित फूल और फूलों की माला।
  • नैवेद्य (मिठाई या फल): देवी को भोग लगाया जाता है।
  • कलश: एक कलश या लोटे में स्वच्छ जल भरकर रखें।
  • पंचामृत: दूध, दही, शहद, घी, और चीनी का मिश्रण।
  • पान के पत्ते और सुपारी: देवी को अर्पित किए जाते हैं।
  • पूजा की थाली: इस पर सारी पूजा सामग्री को सजाया जाता है।

अन्य वैकल्पिक सामग्री:

  • आसन: जमीन पर बैठकर पूजा करने के लिए।
  • चौकी: एक छोटी लकड़ी की मेज जिस पर देवी की मूर्ति या तस्वीर रखकर पूजा स्थान स्थापित किया जाता है।
  • घंटी: आरती के समय बजाई जाती है।
  • हवन सामग्री: अगर हवन करना हो, तो हवन सामग्री भी इकट्ठी कर लें।

अष्टमी व्रत के नियम

  • 1. व्रत का संकल्प:
  • व्रत रखने का संकल्प ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद लें।
  • देवी दुर्गा का ध्यान करते हुए व्रत के नियमों का पालन करने का संकल्प लें।
  • 2. सात्विकता:
  • व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  • मांस, मदिरा, तामसिक भोजन और नशीले पदार्थों से दूर रहें।
  • दिनभर में केवल एक बार फलाहार करें।
  • 3. शारीरिक और मानसिक शुद्धता:
  • व्रत के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  • क्रोध, लोभ, ईर्ष्या, और अन्य नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।
  • सत्य बोलें और दूसरों की सेवा करें।
  • 4. पूजा-पाठ:
  • सुबह और शाम को देवी दुर्गा की पूजा करें।
  • ‘दुर्गा चालीसा’, ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ करें या देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।
  • कथा सुनें या पढ़ें।
  • 5. दान:
  • व्रत के समापन के बाद, अपनी क्षमतानुसार दान करें।
  • गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और दान-पुण्य करें।
  • 6. व्रत का पारण:
  • सूर्यास्त के बाद चांद निकलने पर व्रत का पारण करें।
  • देवी दुर्गा की आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
  • धीरे-धीरे भोजन ग्रहण करें।

अष्टमी व्रत कथा:

सुख-समृद्धि और संतान की मंगलकामना:

अष्टमी व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और मंगलकामना के लिए रखती हैं।

कथा का सार:

एक बार की बात है, एक गरीब ब्राह्मण था जिसकी पत्नी का नाम सुशीला था। सुशीला बहुत दयालु और धार्मिक थी।

एक दिन, एक साधु उनके घर आए और उन्हें अष्टमी व्रत रखने के लिए प्रेरित किया। सुशीला ने व्रत रखने का निर्णय लिया और पूरी श्रद्धा के साथ व्रत का पालन किया।

व्रत के दिन, सुशीला ने देवी दुर्गा की पूजा की और उन्हें भोग लगाया। पूजा के बाद, उन्होंने कथा सुनी और देवी दुर्गा से अपनी संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की।

देवी दुर्गा उनकी प्रार्थना से प्रसन्न हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया। कुछ समय बाद, सुशीला को एक पुत्र की प्राप्ति हुई।

अष्टमी व्रत: भक्तों की कहानियां

माँ दुर्गा का आशीर्वाद:

अष्टमी व्रत देवी दुर्गा को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और मंगलकामना के लिए रखती हैं।

भक्तों की कहानियां:

  • सुशीला: एक गरीब ब्राह्मण की पत्नी सुशीला ने अष्टमी व्रत रखा। देवी दुर्गा उनकी प्रार्थना से प्रसन्न हुईं और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।
  • रमा: एक विधवा महिला रमा ने अष्टमी व्रत रखा। देवी दुर्गा की कृपा से उन्हें अपने जीवन में कई कठिनाइयों से मुक्ति मिली।
  • नीलम: एक शिक्षिका नीलम ने अष्टमी व्रत रखा। देवी दुर्गा की कृपा से उन्हें अपनी नौकरी में पदोन्नति मिली।

इन भक्तों की कहानियां हमें प्रेरणा देती हैं।

उपसंहार

अष्टमी व्रत देवी दुर्गा को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और मंगलकामना के लिए रखती हैं।

इस व्रत के कई लाभ हैं:

  • देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और मंगलकामना होती है।
  • जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  • मन को शांति और आत्मबल प्राप्त होता है।

यह व्रत रखने में आसान है और इसके कई लाभ हैं।

अगर आप अपनी संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और मंगलकामना चाहते हैं, तो आपको यह व्रत अवश्य रखना चाहिए।

यह व्रत आपको देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने में मदद करेगा।

अष्टमी व्रत देवी दुर्गा को प्रसन्न करने का एक उत्तम तरीका है।

यह व्रत आपके जीवन में सुख-समृद्धि और आशीर्वाद लाए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: अष्टमी व्रत क्या है?

उत्तर: अष्टमी व्रत देवी दुर्गा को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और मंगलकामना के लिए रखती हैं।

प्रश्न 2: अष्टमी व्रत कब रखा जाता है?

उत्तर: यह व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में अष्टमी तिथि को रखा जाता है।

प्रश्न 3: अष्टमी व्रत के उपवास के नियम क्या हैं?

उत्तर:

  • व्रत के दिन, निर्जला उपवास रखना या केवल फलाहार करना होता है।
  • व्रत के दौरान, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या, और अन्य नकारात्मक भावनाओं से दूर रहना चाहिए।
  • व्रत का पारण सूर्यास्त के बाद चांद निकलने पर किया जाता है।

प्रश्न 4: अष्टमी व्रत के बारे में अधिक जानकारी कहां से प्राप्त कर सकते हैं?

उत्तर:

  • हिंदू धार्मिक ग्रंथ
  • वेबसाइटें
  • पुस्तकें
  • धार्मिक गुरु

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