भैरव चालीसा: शक्तिशाली पाठ, लाभ, पूजा विधि, और कथा
परिचय
नमस्कार दोस्तों! क्या आप जीवन में आने वाले संकटों और भय से रक्षा चाहते हैं? यदि हाँ, तो भैरव चालीसा का पाठ आपके लिए चमत्कार कर सकता है। भगवान शिव के उग्र रूप, भैरव, रक्षक और न्याय के देवता हैं। आइए, आज के इस ब्लॉग में, हम भैरव चालीसा के अर्थ, महत्व, पूजा विधि, लाभ और बहुत कुछ के बारे में जानें।
हिंदू धर्म में, भगवान भैरव, शिव का एक विनाशकारी स्वरूप हैं। उन्हें काल भैरव भी कहा जाता है, जो समय के स्वामी हैं। भैरव की पूजा भक्तों में से भय को दूर करने, नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करने, और बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है।
भैरव चालीसा
॥ दोहा ॥
श्री गणपति गुरु गौरी पद
प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वंदन करो
श्री शिव भैरवनाथ ॥श्री भैरव संकट हरण
मंगल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु
लोचन लाल विशाल ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय श्री काली के लाला ।
जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
जय ति बटुक-भैरव भय हारी ।
जयति काल-भैरव बलकारी ॥
जयति नाथ-भैरव विख्याता ।
जय ति सर्व-भैरव सुखदाता ॥
भैरव रूप कियो शिव धारण ।
भव के भार उतारण कारण ॥
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी ।
सब विधि होय कामना पूरी ॥
शेष महेश आदि गुण गायो ।
काशी-कोतवाल कहलायो ॥
जटा जूट शिर चंद्र विराजत ।
बाला मुकुट बिजायठ साजत ॥
कटि करधनी घुंघरू बाजत ।
दर्शन करत सकल भय भाजत ॥
जीवन दान दास को दीन्ह्यो ।
कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो ॥
वसि रसना बनि सारद-काली ।
दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली ॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन ।
जय मनरंजन खल दल भंजन ॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा ।
कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा ॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत ।
अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत ॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन ।
क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत ।
बम बम बम शिव बम बम बोलत ॥
रुद्रकाय काली के लाला ।
महा कालहू के हो काला ॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा ।
श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
करत नीनहूं रूप प्रकाशा ।
भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ॥
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन ।
व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं ।
विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय ।
जय उन्नत हर उमा नन्द जय ॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय ।
वैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
महा भीम भीषण शरीर जय ।
रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय ॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय ।
स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय ॥
निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय ।
गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय ।
क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय ।
कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर ।
चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत ।
चौंसठ योगिन संग नचावत ॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा ।
काशी कोतवाल अड़बंगा ॥
देयं काल भैरव जब सोटा ।
नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जनकर निर्मल होय शरीरा ।
मिटै सकल संकट भव पीरा ॥
श्री भैरव भूतों के राजा ।
बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
ऐलादी के दुख निवारयो ।
सदा कृपाकरि काज सम्हारयो ॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा ।
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो ।
सकल कामना पूरण देख्यो ॥
॥ दोहा ॥
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार ॥
भैरव चालीसा का महत्व
भैरव चालीसा को एक अत्यंत शक्तिशाली पाठ माना जाता है। इसकी महिमा कुछ इस प्रकार है:
- भय से मुक्ति: भैरव चालीसा का नियमित पाठ भय और चिंताओं को दूर करता है।
- नकारात्मकता से सुरक्षा: यह स्तोत्र किसी भी बुरी ऊर्जा या नकारात्मकता से सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
- इच्छाओं की पूर्ति: भैरव चालीसा का जाप भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करता है।
- बाधाओं पर विजय: इससे आपके मार्ग की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
- आध्यात्मिक विकास: भैरव चालीसा आत्मिक उन्नति में सहायता करती है।
चालीसा पाठ और पूजा विधि
भैरव चालीसा का जाप करने का सबसे शुभ दिन रविवार और अष्टमी तिथि है। यहाँ इसे करने की सरल विधि है:
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भैरव की मूर्ति या चित्र के सामने पूजा स्थान स्थापित करें।
- भगवान को दीपक, धूप, फूल, फल और मिष्ठान अर्पित करें।
- शुद्ध मन से भैरव चालीसा का पाठ करें।
- अंत में भैरव आरती करें।
पूजा सामग्री
- भैरव की मूर्ति या तस्वीर
- दीपक
- तेल या घी
- धूप
- अगरबत्ती
- फूल
- फल
- मिठाई
- रोली
- कुमकुम
- चावल
भैरव चालीसा की कथा
चालीसा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश (त्रिमूर्ति) के बीच श्रेष्ठता को लेकर बहस छिड़ गई। क्रोधित होकर, भगवान शिव ने भैरव का रूप धारण किया और ब्रह्मा के पांच सिरों में से एक को काट दिया। इस घटना के बाद, ब्रह्मा को अपने अहंकार का एहसास हुआ, और भैरव के क्रोध को शांत करने के लिए, उन्होंने भैरव चालीसा की रचना की।
मंत्र
भैरव चालीसा کے अलावा एक शक्तिशाली भैरव मंत्र है:
ॐ भं भैरवाय नमः
भैरव चालीसा के लाभ
भैरव चालीसा का नियमित पाठ करने से अनगिनत लाभ होते हैं:
- दुश्मनों पर विजय
- रोगों से मुक्ति
- धन-संपदा में वृद्धि
- मनोकामना पूर्ति
- ग्रह दोष से निवारण
- भूत-प्रेत जैसी नकारात्मक शक्तियों से रक्षा
- आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति
भक्तों के अनुभव
भैरव चालीसा से कई भक्तों के जीवन में चमत्कारिक बदलाव आए हैं। कुछ लोगों ने अपने पुराने रोगों से मुक्ति पाई, तो कुछ को अचानक आर्थिक लाभ हुआ। संकट के समय अनेकों लोगों को भैरव चालीसा ने संबल और सुरक्षा प्रदान की है।
निष्कर्ष
भैरव चालीसा एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को जीवन में आने वाले संकटों और बाधाओं से बचाता है। इसका नियमित जाप भय, चिंता और नकारात्मकता को दूर करता है, और मनोकामनाओं को पूरा करता है। यदि आप जीवन में सफलता और खुशहाली प्राप्त करना चाहते हैं, तो भैरव चालीसा का पाठ अवश्य करें।
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