मां ब्रह्मचारिणी(Maa Brahmacharini): तपस्या और समर्पण की देवी – जानिए कथा, पूजा विधि तथा मंत्र

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maa brahmacharini

परिचय

नवरात्रि के पवित्र पर्व के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को तप, त्याग, वैराग्य और सदाचार का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। आइए जानते हैं उनकी विस्तृत कथा, पूजा विधि, और मंत्र तथा उससे प्राप्त होने वाले लाभों के बारे में।

मां ब्रह्मचारिणी कौन हैं?

मां ब्रह्मचारिणी, देवी दुर्गा का दूसरा और अविवाहित रूप हैं। ‘ब्रह्म’ का अर्थ है तपस्या और ‘चारिणी’, आचरण करने वाली। देवी के इस रूप से हमें अटूट भक्ति और दृढ़ संकल्प की प्रेरणा मिलती है।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा (विस्तृत वर्णन)

  • पूर्व जन्म की प्रेरणा: यह माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्वजन्म में भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या की थी, लेकिन उन्हें तब सफलता नहीं मिली। उन्होंने यह निश्चय किया कि इस जन्म में वे और भी कठोर तप करेंगी।
  • हिमालयराज की पुत्री: देवी ने हिमालयराज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। देवर्षि नारद ने पार्वती जी से कहा कि भगवान शिव को पाने के लिए उन्हें कठिन तपस्या करनी होगी।
  • वर्षों की तपस्या: पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने का दृढ़ संकल्प किया। सर्वप्रथम, उन्होंने हज़ारों साल केवल फल और फूल खाकर तप किया। इसके बाद उन्होंने कई सौ वर्ष केवल ज़मीन पर गिरे बिल्व पत्र खाकर बिताए। फिर, उन्होंने जल का भी त्याग कर दिया और कई सालों तक उन्होंने एक पत्ते के सहारे प्राणधारण किए, इसलिए बाद में उन्हें ‘अपर्णा’ नाम से भी जाना गया।
  • अग्नि परीक्षा: उनकी इस तपस्या से सभी देवी-देवता चिंतित हो गए। पार्वती जी की परीक्षा लेने के लिए भगवान शिव एक वृद्ध ब्राह्मण का रूप धरकर पार्वती के पास आए और तरह-तरह की बातों से उन्हें शिव के प्रति विरक्त करने का प्रयास करने लगे, पर पार्वती जी का मन विचलित नहीं हुआ।
  • भगवान शिव का स्वीकार: अंततः उनके निश्चल प्रेम एवं साधना को देखकर भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए। उन्होंने अपना असली रूप धारण किया और पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप का प्रतीकवाद

  • सरलता एवं सात्विकता: माता का श्वेत वस्त्र, नंगे पैर और सादा रूप त्याग, सरलता, और सात्विकता का प्रतीक हैं।
  • एकाग्रता एवं संयम: उनके हाथ में मौजूद जप की माला, एकाग्रता और भक्ति में ध्यान लगाने का महत्व बताती है। कमंडल जल से होने वाली शुद्धि और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है।
  • अटूट संकल्प: मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप हमें अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण और किसी भी परिस्थिति में न हार मानने की प्रेरणा देता है।

पूजन सामग्री

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

1. मूर्ति या चित्र: मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र पूजा के लिए आवश्यक है।

2. फूल: सफेद या पीले फूल, जैसे कि चमेली, गुलाब, या कमल, मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित किए जाते हैं।

3. धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है।

4. रोली, अक्षत, और सिंदूर: रोली, अक्षत, और सिंदूर देवी को चढ़ाए जाते हैं।

5. शहद: शहद देवी को मिठाई के रूप में चढ़ाया जाता है।

6. चीनी: चीनी भी देवी को मिठाई के रूप में चढ़ाई जाती है।

7. कमलगट्टा: कमलगट्टा देवी को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाया जाता है।

8. फल: विभिन्न प्रकार के फल देवी को भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं।

9. नैवेद्य: नैवेद्य देवी को भोजन के रूप में चढ़ाया जाता है। नैवेद्य में खीर, हलवा, या अन्य मिठाईयां शामिल हो सकती हैं।

10. पान: पान देवी को अर्पित किया जाता है।

11. सुपारी: सुपारी देवी को अर्पित की जाती है।

12. दक्षिणा: दक्षिणा देवी को दान के रूप में दी जाती है।

13. वस्त्र: सफेद या पीले रंग के वस्त्र देवी को चढ़ाए जाते हैं।

14. आभूषण: देवी को आभूषण भी चढ़ाए जा सकते हैं।

15. जप माला: जप माला देवी की पूजा के लिए उपयोग की जाती है।

ब्रह्मचारिणी पूजा विधि

नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है।

  • सबसे पहले देवी ब्रह्मचारिणी को स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र पहनाएं।
  • उन्हें रोली, अक्षत, सिंदूर अर्पित करें।
  • सफ़ेद रंग के फूल, धूप, दीप, फल, नैवेद्य आदि से उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करें।
  • ब्रह्मचारिणी मंत्र तथा आरती का पाठ करें।
  • चीनी तथा अन्य सफ़ेद मिठाइयां देवी को प्रसाद रूप में विशेष रूप से चढ़ाई जाती हैं।

मां ब्रह्मचारिणी मंत्र

“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नम:”

अर्थात, जिन देवी का ओमकार स्वरूप है, उन सर्वोत्तमा देवी ब्रह्मचारिणी को हम सभी नमस्कार करते हैं।

ब्रह्मचारिणी से मिलने वाले आशीर्वाद

  • देवी भक्तों में तप, त्याग, संयम और सदाचार की वृद्धि करती हैं।
  • मां ब्रह्मचारिणी अपने उपासकों को लंबी आयु और आरोग्य का आशीर्वाद देती हैं।
  • इस शक्ति से भक्तों को जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना करने का साहस मिलता है।
  • मान्यता है कि ब्रह्मचारिणी की भक्ति से व्यक्ति की कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है।

भक्तों के अनुभव

मां ब्रह्मचारिणी के भक्तों ने कई प्रकार के अनुभव किए हैं। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाला है। अन्य भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें ज्ञान और शक्ति प्रदान की है। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उनकी मनोकामनाएं पूरी की हैं।

यहां कुछ भक्तों के अनुभव दिए गए हैं:

  • एक भक्त ने बताया कि वह कई सालों से शादी नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने मां ब्रह्मचारिणी की पूजा शुरू की और कुछ ही महीनों में उनकी शादी हो गई।
  • एक अन्य भक्त ने बताया कि वह एक परीक्षा में फेल हो गए थे। उन्होंने मां ब्रह्मचारिणी की पूजा शुरू की और अगली बार उन्होंने परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
  • एक तीसरे भक्त ने बताया कि वह एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। उन्होंने मां ब्रह्मचारिणी की पूजा शुरू की और कुछ ही महीनों में वे पूरी तरह से ठीक हो गए।

यह केवल कुछ उदाहरण हैं। मां ब्रह्मचारिणी के भक्तों ने कई अन्य प्रकार के अनुभव भी किए हैं।

अस्वीकरण: यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल कुछ भक्तों के अनुभव हैं। सभी भक्तों के अनुभव समान नहीं होते हैं।

नवरात्रि का दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी पूजन

नवरात्रि में इस दिन भक्तों को मां दुर्गा के इसी स्वरूप की उपासना करनी चाहिए। जो लोग कुंडलिनी शक्ति जागरण की इच्छा रखते हैं, उनके लिए यह व्रत विशेष लाभकारी होता है। आईए हम सब मां ब्रह्मचारिणी के चरणों में अपना मन समर्पित करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।


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