मां सिद्धिदात्री(Maa Siddhidatri): सभी सिद्धियों की देवी – जानिए कथा, महिमा, पूजा विधि, और मंत्र

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परिचय

नवरात्रि के पावन त्यौहार के अंतिम दिन मां दुर्गा के नौवें रूप, मां सिद्धिदात्री, की पूजा की जाती है। देवी सिद्धिदात्री का यह रूप सभी प्रकार की सफलता तथा सिद्धियां प्रदान करने वाला माना जाता है। आइए, जानिए मां सिद्धिदात्री की कथा, उनका महत्व, पूजा विधि तथा मंत्र, और उनकी उपासना से जुड़े लाभ।

मां सिद्धिदात्री कौन हैं?

मां सिद्धिदात्री, देवी दुर्गा का नौवां और अंतिम रूप हैं। इस रूप में वे अपनी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें समस्त सिद्धियां प्रदान करती हैं। ‘सिद्धि’ का अर्थ होता है अलौकिक शक्ति प्राप्त करना और ‘दात्री’ का अर्थ होता है, देने वाली। देवी सिद्धिदात्री अपने भक्तों को अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व जैसी अष्ट सिद्धियों का आशीर्वाद देती हैं।

मां सिद्धिदात्री की कथा

  • भगवान शिव का आशीर्वाद: पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में केवल अंधकार था, तब आदिशक्ति माँ कुष्मांडा, जिनकी पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है, उन्होंने त्रिदेव यानी भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु की रचना की। ब्रह्मा जी को सृष्टिकर्ता, विष्णु जी को पालनकर्ता और शिव जी को संहारक का कार्य दिया गया। एक बार भगवान शिव ने माँ आदिशक्ति से पूर्णता प्रदान करने की प्रार्थना की। तब माँ आदिशक्ति ने एक और देवी की रचना की, जिन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है। माँ सिद्धिदात्री ने शिव को आठ या ‘अष्ट सिद्धि’ के साथ, 18 सिद्धियों का आशीर्वाद दिया।
  • शिव का अर्धनारीश्वर रूप: एक मान्यता यह भी है कि माता सिद्धिदात्री की साधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव का आधा शरीर देवी का बन गया और शिव अर्धनारीश्वर कहलाए।

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान रहती हैं और इनका वाहन सिंह है। देवी के चार हाथ हैं। एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा, एक हाथ में शंख और एक हाथ में कमल का फूल है। मां सिद्धिदात्री सौम्य मुस्कान के साथ भक्तों पर अपना स्नेह और कृपा बरसाती हैं।

पूजन सामग्री

मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

1. मूर्ति या चित्र: मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र पूजा के लिए आवश्यक है।

2. फूल: सफेद या गुलाबी रंग के फूल, जैसे कि चमेली, गुलाब, या कमल, मां सिद्धिदात्री को अर्पित किए जाते हैं।

3. धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है।

4. रोली, अक्षत, और सिंदूर: रोली, अक्षत, और सिंदूर देवी को चढ़ाए जाते हैं।

5. शहद: शहद देवी को मिठाई के रूप में चढ़ाया जाता है।

6. चीनी: चीनी भी देवी को मिठाई के रूप में चढ़ाई जाती है।

7. कमलगट्टा: कमलगट्टा देवी को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाया जाता है।

8. फल: विभिन्न प्रकार के फल देवी को भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं।

9. नैवेद्य: नैवेद्य देवी को भोजन के रूप में चढ़ाया जाता है। नैवेद्य में खीर, हलवा, या अन्य मिठाईयां शामिल हो सकती हैं।

10. पान: पान देवी को अर्पित किया जाता है।

11. सुपारी: सुपारी देवी को अर्पित की जाती है।

12. दक्षिणा: दक्षिणा देवी को दान के रूप में दी जाती है।

13. वस्त्र: सफेद या गुलाबी रंग के वस्त्र देवी को चढ़ाए जाते हैं।

14. आभूषण: देवी को आभूषण भी चढ़ाए जा सकते हैं।

15. जप माला: जप माला देवी की पूजा के लिए उपयोग की जाती है।

सिद्धिदात्री पूजा विधि

नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

  • सबसे पहले देवी सिद्धिदात्री को स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र पहनाएं।
  • उन्हें रोली, अक्षत, सिंदूर अर्पित करें।
  • सफ़ेद या गुलाबी रंग के फूल, धूप, दीप, फल, नैवेद्य आदि से उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करें।
  • सिद्धिदात्री मंत्र तथा आरती का पाठ करें।

मां सिद्धिदात्री मंत्र

माता सिद्धिदात्री की आराधना का विशेष मंत्र इस प्रकार है-

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नम:

अर्थात, ओमकार के समान मोक्ष प्रदान करने वाली और सभी को कई प्रकार की सिद्धियां देने वाली माता सिद्धिदात्री की कृपा हमेशा हम पर बनी रहे। हम उन्हें बारंबार नमन और वंदन करते हैं।

मां सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से मिलने वाले लाभ

  • मनोकामनाओं की पूर्ति: मां सिद्धिदात्री भक्तों की सच्चे मन से की गई सभी इच्छाएं पूरी करती हैं। चाहे वह कोई सांसारिक लक्ष्य हो या कोई आध्यात्मिक उन्नति की अभिलाषा हो।
  • अष्ट सिद्धियों की प्राप्ति: अष्ट सिद्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व जैसी अद्भुत और अलौकिक शक्तियां शामिल होती हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों को इन दिव्य शक्तियों की प्राप्ति होती है।
    • अणिमा: शरीर को अणु के समान छोटा कर लेने की शक्ति।
    • महिमा: शरीर को विशालकाय रूप धारण करने की शक्ति।
    • गरिमा: शरीर का वजन बेहद भारी कर लेने की शक्ति।
    • लघिमा: शरीर को बहुत हल्का कर लेने की शक्ति।
    • प्राप्ति: किसी भी वस्तु को प्राप्त कर लेने की शक्ति।
    • प्राकाम्य: अपनी इच्छानुसार रूप धारण करने की शक्ति।
    • ईशित्व: समस्त जगत पर नियंत्रण प्राप्त करने की शक्ति।
    • वशित्व: किसी को भी अपने वश में कर लेने की शक्ति।
  • सुख-समृद्धि में वृद्धि: देवी सिद्धिदात्री सभी प्रकार की बाधाओं एवं कष्टों से मुक्ति दिलाकर अपने उपासकों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाती हैं।
  • सकारात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति: मां सिद्धिदात्री का आशीर्वाद मन से नकारात्मकता को दूर करता है और भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करता है। उनकी साधना से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है।
  • मानसिक और शारीरिक कल्याण: देवी सिद्धिदात्री भक्तों की शारीरिक और मानसिक परेशानियों को दूर करती हैं। उनकी शरण में आने से रोगों का नाश होता है और भक्तों के जीवन में स्वास्थ्य एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

मां सिद्धिदात्री के भक्तों ने कई प्रकार के अनुभव किए हैं। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाला है। अन्य भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें ज्ञान और शक्ति प्रदान की है। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उनकी मनोकामनाएं पूरी की हैं।

नवरात्रि का अंतिम दिन: सिद्धिदात्री से मांगे मनोवांछित फल

नवरात्रि में इस दिन भक्तों को मां दुर्गा के इसी स्वरूप का ध्यान करना चाहिए ताकि उनकी भक्ति परिपूर्ण हो। आईए आज हम सब मां सिद्धिदात्री के चरणों में अपनी सभी इच्छाएं रखकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।


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