नवरात्रि प्रारंभ, घटस्थापना(Navratri Beginning, Ghatsthapana)

पर Shreya Dwivedi द्वारा प्रकाशित

नवरात्रि प्रारंभ, घटस्थापना(Navratri Beginning, Ghatsthapana)

नमस्ते! क्या आप नवरात्रि के पावन त्योहार की तैयारी कर रहे हैं? अगर हाँ, तो यह ब्लॉग आपके लिए है! आज हम बात करेंगे नवरात्रि में घटस्थापना के बारे में। इस ब्लॉग में आपको नवरात्रि प्रारंभ की तिथि, शुभ मुहूर्त, घटस्थापना से जुड़ी विधि और महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।

घटस्थापना

  • घटस्थापना का अर्थ है “कलश स्थापना”।
  • यह अनुष्ठान देवी दुर्गा के आगमन का प्रतीक है।
  • घटस्थापना के दौरान, एक कलश को मिट्टी, अनाज और जल से भरा जाता है, और फिर इसे पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है।
  • कलश को देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है।
  • घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का चुनाव करना महत्वपूर्ण है।

वर्ष 2023 में शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर (मंगलवार) से प्रारंभ होगी। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त भी इसी दिन है। दुर्गाष्टमी 4 अक्टूबर और महानवमी 5 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

शुभ मुहूर्त

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त केवल कुछ मिनटों का होता है। यह ध्यान रखें कि इस दौरान अभिजीत मुहूर्त का होना शुभ माना जाता है। वर्ष 2023 में शारदीय नवरात्रि घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:

  • घटस्थापना मुहूर्त प्रारंभ: 26 सितंबर, सुबह 06:23 से
  • घटस्थापना मुहूर्त समाप्ति: 26 सितंबर, सुबह 07:41 तक
त्यौहार/अवसरतिथिदिन
चैत्र नवरात्रि प्रारंभ28 मार्चगुरुवार
घटस्थापना28 मार्चगुरुवार (शुभ मुहूर्त: सुबह 07:34 से 08:52 तक)
राम नवमी05 अप्रैलशुक्रवार
शारदीय नवरात्रि प्रारंभ10 अक्टूबरगुरुवार
घटस्थापना10 अक्टूबरगुरुवार (शुभ मुहूर्त: सुबह 06:13 से 07:31 तक)
दुर्गाष्टमी18 अक्टूबरमंगलवार
महानवमी19 अक्टूबरबुधवार

नवरात्रि प्रारंभ का प्रतीक घटस्थापना, माँ दुर्गा के आह्वान से जुड़ी एक महत्वपूर्ण रस्म है। इसमें एक मिट्टी के कलश को जौ या मिट्टी से भरा जाता है और इसे पूजा स्थल के केंद्र में रखा जाता है। माना जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा का वास इसी कलश में होता है। घटस्थापना के जरिये, हम अपने घर में माँ दुर्गा की दिव्य उपस्थिति का आह्वान करते हैं ताकि सुख, समृद्धि, और आध्यात्मिक सुरक्षा मिले।

इसके अलावा अन्य मान्यताएं भी प्रचलित हैं:

  • नई शुरुआत का प्रतीक: घटस्थापना को नए कार्यों की शुरुआत से जोड़कर भी देखा जाता है।
  • फसल के मौसम का प्रतीक: कुछ स्थानों में इसे फसल की पैदावार से जोड़कर भी देखा जाता है। कलश में अंकुरित जौ समृद्धि के प्रतीक होते हैं।
  • नारी शक्ति का सम्मान: घटस्थापना नारी शक्ति (माँ दुर्गा) के स्वागत और सम्मान का एक प्रतीक भी है।
  1. पूजा स्थान की तैयारी: सबसे पहले पूजा स्थान को स्वच्छ कर लें।
  2. कलश तैयार करना: मिट्टी के कलश में सात तरह के अनाज या शुद्ध मिट्टी भरें। अब इस कलश में थोड़ा गंगाजल डालें।
  3. लोटा तैयार करना: एक पानी से भरे तांबे या मिट्टी के लोटे में सुपारी, दूर्वा, सिक्का डालें। लोटे के ऊपर आम के पत्तों का गुच्छ रखें। अंत में इस पर नारियल रखकर लाल कपड़े से लपेट दें।
  4. माता की चौकी सजाना: माता की चौकी को साफ करके लाल वस्त्र बिछाएं। माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  5. कलश स्थापित करना: कलश और माता की चौकी को कुमकुम, फूल, अक्षत आदि से सजाएं।
  6. दीपक प्रज्वलित करना: देशी घी का दीपक प्रज्वलित करें।
  7. पूजा करना: माता का आह्वान करते हुए पूजा करें।

विधि के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। आइए, जानते हैं उनके बारे में:

  • मिट्टी का कलश: एक मध्यम आकार का चौड़े मुंह वाला मिट्टी का कलश घटस्थापना के लिए आवश्यक होता है।
  • सात प्रकार के अनाज या शुद्ध मिट्टी: कलश को जौ, गेहूं आदि अनाज अथवा शुद्ध मिट्टी से भरा जाता है।
  • गंगाजल: गंगाजल को पवित्र माना जाता है। घटस्थापना में इसका उपयोग किया जाता है।
  • तांबे या मिट्टी का लोटा: जिसे जल से भरकर कलश के ऊपर रखा जाता है।
  • सिक्का, सुपारी, दूर्वा: यह सभी लोटे में डाले जाते हैं।
  • आम के पत्ते: कलश के मुख को आम के पाँच पत्तों से ढँका जाता है।
  • नारियल: नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर कलश के ऊपर रखा जाता है।
  • लाल वस्त्र : माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करने से पहले लाल वस्त्र बिछाया जाता है।
  • माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर
  • पूजा के अन्य सामान: जैसे रोली, कुमकुम, अक्षत, फूल, दीपक, अगरबत्ती आदि।

घटस्थापना करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

पूजा स्थान

  • पूजा स्थान स्वच्छ और शांत होना चाहिए।
  • पूजा स्थान को पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है।
  • पूजा स्थान को रंगोली, दीपक, और फूलों से सजाएं।

कलश स्थापना

  • कलश को पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करें।
  • कलश को लाल कपड़े पर रखें।
  • कलश में अनाज या मिट्टी भरते समय, ध्यान रखें कि यह पूरी तरह से भर न जाए।
  • कलश के मुख पर आम के पत्ते रखते समय, ध्यान रखें कि वे सभी एक दिशा में झुके हों।

पूजा

  • पूजा के लिए स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • पूजा के दौरान एकाग्र रहें और मन में नकारात्मक विचार न आने दें।
  • पूजा विधि-विधान से करें।
  • माँ दुर्गा का आह्वान करते हुए भक्ति भाव से प्रार्थना करें।

अन्य

  • नवरात्रि के नौ दिनों तक कलश में जल बदलते रहें।
  • दीपक जलाकर रखें।
  • नौ दिनों तक घर में सात्विक भोजन बनायें।
  • माँ दुर्गा की आरती करें।

यहाँ कुछ अतिरिक्त बातें हैं जिनका ध्यान रखा जा सकता है:

  • घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का चुनाव करें।
  • घर के सभी सदस्यों को पूजा में शामिल करें।
  • बच्चों को नवरात्रि और घटस्थापना के महत्व के बारे में बताएं।
  • नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्प लें (यदि आप चाहें)।
  • दान-पुण्य करें।

घटस्थापना माँ दुर्गा के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। यह एक ऐसा अवसर है जब भक्त माँ दुर्गा का आह्वान करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

यहाँ कुछ भक्तों की कहानियां और अनुभव दिए गए हैं जो घटस्थापना से जुड़े हैं:

1. रीना देवी:

रीना देवी हर साल घटस्थापना करती हैं। उनका मानना ​​है कि माँ दुर्गा उनके घर में सुख-समृद्धि और खुशियां लाती हैं। रीना देवी बताती हैं कि एक बार जब उन्होंने घटस्थापना की थी, तो उनके घर में कुछ आर्थिक परेशानियां चल रही थीं। उन्होंने माँ दुर्गा से प्रार्थना की और उनसे आशीर्वाद मांगा। कुछ ही दिनों में, उन्हें नौकरी का प्रस्ताव मिला और उनकी आर्थिक परेशानियां दूर हो गईं।

2. अजय कुमार:

अजय कुमार एक युवा लड़के हैं जो हर साल अपनी माँ के साथ घटस्थापना करते हैं। वह बताते हैं कि एक बार जब उन्होंने घटस्थापना की थी, तो उन्हें अपनी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त हुए। अजय कुमार का मानना ​​है कि माँ दुर्गा ने उन्हें सफलता प्राप्त करने में मदद की।

3. रमाकांत शर्मा:

रमाकांत शर्मा एक सेवानिवृत्त व्यक्ति हैं जो हर साल घटस्थापना करते हैं। उनका मानना ​​है कि माँ दुर्गा उनकी रक्षा करती हैं और उन्हें स्वास्थ्य प्रदान करती हैं। रमाकांत शर्मा बताते हैं कि एक बार जब उन्होंने घटस्थापना की थी, तो उन्हें बीमारी से उबरने में मदद मिली।

4. शीला वर्मा:

शीला वर्मा एक गृहिणी हैं जो हर साल घटस्थापना करती हैं। उनका मानना ​​है कि माँ दुर्गा उनके परिवार को बुराई से बचाती हैं और उन्हें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं। शीला वर्मा बताती हैं कि एक बार जब उन्होंने घटस्थापना की थी, तो उनके परिवार में कुछ नकारात्मक घटनाएं हो रही थीं। उन्होंने माँ दुर्गा से प्रार्थना की और उनसे आशीर्वाद मांगा। कुछ ही दिनों में, उनका परिवार इन घटनाओं से बाहर निकल आया।

नवरात्रि, माँ दुर्गा की आराधना का पावन पर्व, आत्मिक जागरण और शक्ति का प्रतीक है। घटस्थापना, इस पर्व का प्रारंभिक चरण, माँ दुर्गा के आह्वान का शुभ अवसर है।

इस ब्लॉग में, हमने नवरात्रि घटस्थापना के महत्व,विधि, और इस पावन पर्व से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों पर प्रकाश डाला है।

घटस्थापना करते समय, हमें शुद्ध मन और एकाग्रता से माँ दुर्गा का आह्वान करना चाहिए। पूजा विधि-विधान का पालन करते हुए, हमें माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करनी चाहिए।

नवरात्रि के नौ दिनों तक, हमें सात्विक भोजन करना चाहिए, व्रत रखना चाहिए (यदि आप चाहें), और माँ दुर्गा की भक्ति में लीन रहना चाहिए।

यह पावन पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है। हमें माँ दुर्गा से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन में सकारात्मकता और आत्म-विश्वास लाना चाहिए।

आइए, हम सभी मिलकर नवरात्रि का पर्व मनाएं और माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करें।

1. कलश को घर में कहाँ स्थापित करना चाहिए?

  • उत्तर: पूजा स्थान या मंदिर सबसे उत्तम है। यदि अलग स्थान नहीं है, तो इसे एक साफ स्थान पर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) या पूर्व दिशा में स्थापित करें।

2. अगर मिट्टी का कलश नहीं मिले, तो क्या करें?

  • उत्तर: हालांकि मिट्टी का कलश उत्तम माना गया है, लेकिन आप कांसे या तांबे के कलश का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। प्लास्टिक या स्टील से बचें।

3. क्या घटस्थापना व्रत के बिना भी की जा सकती है?

  • उत्तर: हां, घटस्थापना का संबंध भक्ति और पूजा विधि से है। यदि आप व्रत नहीं रख पा रहे, तो भी आप विधि-विधान से घटस्थापना करके माँ दुर्गा की कृपा पा सकते हैं।

4. अखंड दीपक कब तक जलाना चाहिए?

  • उत्तर: आदर्श रूप से, अखंड दीपक नवरात्रि के सभी नौ दिन और रातों तक जलते रहना चाहिए। सुनिश्चित करें कि दीपक के लिए पर्याप्त तेल या घी की व्यवस्था की जाए।

5. नवरात्रि के नौ दिनों में रोज एक अलग रंग के वस्त्र धारण करने का कोई महत्व है?

  • उत्तर: हाँ, नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन एक विशेष रंग से जुड़ा होता है, जो माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करता है। इन रंगों के वस्त्र पहनने से देवी की तदनुरूप कृपा मिलती है ऐसा माना जाता है।

0 टिप्पणियाँ

प्रातिक्रिया दे

Avatar placeholder

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

hi_INहिन्दी