नवरात्रि का छठवां दिन(Navratri Sixth Day) – माँ कात्यायनी(Maa Katyayani)

पर Shreya Dwivedi द्वारा प्रकाशित

नवरात्रि का छठवां दिन(Navratri Sixth Day) - माँ कात्यायनी(Maa Katyayani)

नमस्ते! नवरात्रि के पावन उत्सव में हम माँ दुर्गा के कई स्वरूपों की पूजा कर रहे हैं। पिछले पाँच दिनों में हमने शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा और स्कंदमाता के स्वरूपों के बारे में जाना। आज नवरात्रि के छठे दिन हम माँ कात्यायनी की आराधना करेंगे। कात्यायन ऋषि की कठोर तपस्या के फलस्वरूप माँ भगवती ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया।

कात्यायनी नाम का अर्थ है “कत ऋषि की पुत्री”। कत ऋषि ने देवी दुर्गा की कठोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप देवी ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया।

  • शक्ति: कात्यायनी नाम का अर्थ “शक्तिशाली” भी होता है। देवी कात्यायनी महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए प्रकट हुई थीं।
  • ज्ञान: कात्यायनी नाम का अर्थ “ज्ञान” भी होता है। देवी कात्यायनी ज्ञान और विद्या की देवी भी मानी जाती हैं।
  • सौंदर्य: कात्यायनी नाम का अर्थ “सुंदर” भी होता है। देवी कात्यायनी को अत्यंत सुंदर और आकर्षक रूप माना जाता है।
  • देवी कात्यायनी चार भुजाओं वाली देवी हैं।
  • उनकी दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभय मुद्रा में तथा नीचे वाला वर मुद्रा में है।
  • बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है।
  • देवी कात्यायनी का वाहन सिंह है।
  • देवी कात्यायनी का रंग लाल या पीला होता है।
  • देवी कात्यायनी का मुखमंडल अत्यंत सुंदर और शांत होता है।

कात्यायनी माँ दुर्गा का ही एक स्वरूप हैं। माँ कात्यायनी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। साथ ही, भक्तों के रोगों को दूर करके उन्हें आरोग्य और दीर्घायु प्रदान करती हैं।

  • सभी कामनाएँ पूर्ण करना: माँ कात्यायनी का व्रत और पूजा करने से भक्तों के सभी अभीष्ट कार्य सिद्ध होते हैं।
  • आरोग्यता: माँ कात्यायनी अपने भक्तों के भय और रोगों का नाश करती हैं।
  • विवाह संबंधी समस्याएं: जिन लोगों के विवाह में विलंब हो रहा है, उन्हें माँ कात्यायनी की पूजा करने से उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
  • विद्या और बुद्धि: माँ कात्यायनी अपने भक्तों को विद्या और बुद्धि में श्रेष्ठ बनाती हैं।

1. तैयारी

  • स्नान आदि करके शुद्ध एवं पीला या लाल रंग का वस्त्र धारण करें।
  • घर के पूजा स्थान को स्वच्छ कर चौकी बिछाएं और पीला अथवा लाल रंग का वस्त्र बिछाकर माँ कात्यायनी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • कलश को शुद्ध जल से भरकर उस पर मौली बाँधें और आम के पत्तों के साथ चौकी पर स्थापित करें।
  • एक दीपक जलाएं और माँ कात्यायनी का आह्वान करें।
  • नैवेद्य के लिए हलवा या कोई अन्य मिष्ठान्न बनाएं अथवा बाजार से खरीद लें।
  • पान, सुपारी, हल्दी, कुमकुम, चावल (अक्षत), इलायची, लौंग इत्यादि भी इकट्ठा कर लें।
  • दक्षिणा के लिए कुछ सिक्के अथवा नोट तैयार रखें।

2. पूजा

  • माता का आह्वान: सबसे पहले दीपक जलाकर माँ कात्यायनी का ध्यान करते हुए और निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए उन्हें अपने पूजा स्थल में आहूत करें।

चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी ॥

  • पंचोपचार पूजन: इसके बाद माँ कात्यायनी का पंचोपचार पूजन करें:
    • जल अर्पित करें: मंत्र बोलते हुए एक लोटा जल से देवी को स्नान कराएं।
    • दूध से स्नान कराएं: मंत्र बोलते हुए थोड़ा सा दूध अर्पित करें।
    • वस्त्र अर्पित करें: इसके बाद देवी को लाल अथवा पीले रंग का वस्त्र चढ़ाएं।
    • पुष्प अर्पित करें: मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी को सुगंधित पुष्प अर्पित करें।
    • धूप-दीप अर्पण: धूप-दीप जलाकर मंत्र का उच्चारण करते हुए माता को समर्पित करें।
  • हल्दी, कुमकुम, चावल (अक्षत) अर्पित करें।
  • नैवेद्य अर्पित करें: माता की पसंद का जो भी नैवेद्य बनाया है, वह प्रेम से अर्पित करें। इसमें शहद का होना अनिवार्य है।
  • क्षमा याचना: यदि पूजा में जाने अनजाने में कोई त्रुटि रह गई हो, तो इसके लिए माता से क्षमा मांगें।
  • प्रार्थना: अपनी इच्छाओं की पूर्ति हेतु माँ कात्यायनी से सच्चे मन से प्रार्थना करें।

3. ध्यान

  • सर्वप्रथम माँ कात्यायनी के स्वरूप के बारे में ध्यानमग्न होकर सोचें।
  • सोचें कि वे सिंह पर कैसे सवार हैं। उनके चार हाथ हैं जिनमें कमल का फूल, खडग या तलवार, और वे अभय और वर मुद्रा में हैं।
  • उनके स्वरूप के ध्यान के साथ ही उनके समस्त गुणों के बारे में भी सोचें। वे ज्ञान, शक्ति, साहस, वीरता, सुख, शांति, और सौंदर्य की देवी हैं।
  • अपने मन में ममतामयी माँ के इस दिव्य स्वरूप का चिंतन करें।
  • अपनी आँखें बंद कर लें और कुछ देर तक माँ कात्यायनी का ध्यान करें।
  • इसके बाद ही अपनी कामनाओं को उनके सामने प्रकट करें।
सामग्रीमात्रा
देवी कात्यायनी की प्रतिमा या तस्वीर1
चौकी1
पीला या लाल रंग का वस्त्र1
कलश1
जल1 लोटा
दूध1/2 लोटा
शहद1 चम्मच
फूलगुलाब, गेंदा, कमल, आदि
धूप1 अगरबत्ती
फलमौसमी फल
नैवेद्यहलवा, मिठाई
पान1
सुपारी1
हल्दी1 चुटकी
कुमकुम1 चुटकी
चावल (अक्षत)1 मुट्ठी
इलायची2-3
लौंग2-3
दीपक1
तेल या घी1 चम्मच
बत्ती1
दक्षिणासिक्के या नोट
  • तिथि: षष्ठी
  • वार: शुक्रवार
  • तिथि प्रारंभ: 03:12 AM, 12 March 2024
  • तिथि समाप्त: 05:12 AM, 13 March 2024
  • अभिजीत मुहूर्त: 11:43 AM – 12:28 PM
  • विजय मुहूर्त: 10:20 AM – 11:05 AM
  • अमृत मुहूर्त: 02:17 AM – 03:02 AM

माँ कात्यायनी की पूजा का शुभ मुहूर्त:

  • सुबह का मुहूर्त: 07:00 AM – 09:00 AM
  • दोपहर का मुहूर्त: 11:43 AM – 12:28 PM
  • शाम का मुहूर्त: 06:00 PM – 07:00 PM

देवी कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के छठे दिन शहद का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में मधुरता आती है। शहद का भोग मातारानी को भी अतिप्रिय है। ऐसे में आप शहद का प्रयोग कर के कद्दू का हलवा भी बना सकते हैं।

कात्यायनी माँ की कथा बड़ी रोचक है। पुरातन काल में कत नाम के एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र का नाम कात्य था और उन्हीं की वंशावली में महर्षि कात्यायन हुए। महर्षि कात्यायन ने देवी भगवती की कठोर तपस्या की। वे देवी को अपनी पुत्री के रूप में पाना चाहते थे। माँ भगवती ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छा पूरी की और उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया। कत ऋषि की पुत्री होने के कारण माँ दुर्गा को ‘कात्यायनी’ के नाम से जाना जाता है। एक समय महिषासुर नाम के राक्षस ने देवलोक पर विजय प्राप्त कर ली थी। उसके अत्याचारों से सभी देवता त्रस्त थे, तब सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के पास गए और उनसे सहायता की याचना की। तब, ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के तेज से उत्पन्न हुई एक देवी ने महिषासुर का वध किया था। यह देवी माँ कात्यायनी ही थीं।

ॐ जय कात्यायनी माँ… मैया ॐ जय कात्यायनी माँ

पूजन माँ तेरे करते पूजन माँ तेरे करते दया माँ नित करना ॐ जय कात्यायनी माँ

उमा, पार्वती, गौरी दुर्गा तुम ही हो माँ दुर्गा

तुम ही हो माँ चार भुजाधारी माँ चार भुजाधारी माँ गावें जन महिमा ॐ जय कात्यायनी माँ

महिषासुर को मारा देवों का अभय दिया मैया देवों का अभय दिया

आया जो तुम्हरी शरण माँ आया जो तुम्हरी शरण माँ कष्टों से मुक्त हुआ ॐ जय कात्यायनी माँ

शेर सवारी तुम्हारी कमल खड्ग सोहे मैया कमल खड्ग सोहे

अभयदान माँ देती अभयदान माँ देती छवि अति मन मोहे ॐ जय कात्यायनी माँ

ब्रह्म स्वरूप माता दोषों से मुक्त करो मैया दोषों से मुक्त करो

दुर्गुण हर लो माता दुर्गुण हर दो माता भक्तों पे कृपा करो ॐ जय कात्यायनी माँ

छठवें नवराते में पूजे जन माता मैया पूजे जन माता

गोधूलि बेला जे पावन गोधूलि बेला जे पावन ध्यावे जे सुख पाता ॐ जय कात्यायनी माँ

हम अज्ञानी मैया ज्ञान प्रदान करो मैया ज्ञान प्रदान करो

कब से तुम्हें पुकारें कब से तुम्हें पुकारें माता दर्शन दो ॐ जय कात्यायनी माँ

सर्व देव तुम्हें ध्याते नमन करे सृष्टि मैया नमन करे सृष्टि

हम भी करें गुणगान हम भी करें गुणगान कर दो माँ सुख वृष्टि ॐ जय कात्यायनी माँ

कात्यायनी मैया की आरती नित गाओ आरती नित गाओ

भरेगी माँ भंडारे भरेगी माँ भंडारे चरणों में नित आओ ॐ जय कात्यायनी माँ

ॐ जय कात्यायनी माँ मैया जय कात्यायनी माँ

पूजन माँ तेरे करते पूजन माँ तेरे करते दया माँ नित करना ॐ जय कात्यायनी माँ


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