शीतला माता की आरती
- शीतला माता की आरती
- शीतला माता व्रत कथा
- शीतला माता पूजा विधि
- शीतला माता पूजन सामग्री
- शीतलामाता से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
- शीतला माता का मंत्र
- शीतलाष्टमी पर क्या करें और क्या नहीं (Sheetalashtami Do's and Don'ts)
- शीतला माता से जुड़े भक्तों के अनुभव
- शीतला माता मंदिर
- शीतला माता पूजा के लाभ
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- निष्कर्ष
नमस्कार दोस्तों! आज हम बात करने वाले हैं शीतला माता के बारे में। शीतला माता को चेचक और अन्य संक्रामक रोगों से बचाने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। वैसे तो साल भर शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है, परंतु चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतलाष्टमी के रूप में विशेष महत्व दिया जाता है। आइए, जानते हैं शीतला माता की आरती, उनकी पूजा विधि, व्रत कथा, और उनसे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें।
शीतला माता की आरती
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥
रतन सिंहासन शोभित,
श्वेत छत्र भाता ।
ऋद्धि-सिद्धि चँवर ढुलावें,
जगमग छवि छाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
विष्णु सेवत ठाढ़े,
सेवें शिव धाता ।
वेद पुराण वरणत,
पार नहीं पाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
इन्द्र मृदङ्ग बजावत,
चन्द्र वीणा हाथा ।
सूरज ताल बजावै,
नारद मुनि गाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
घण्टा शङ्ख शहनाई,
बाजै मन भाता ।
करै भक्तजन आरती,
लखि लखि हर्षाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
ब्रह्म रूप वरदानी,
तुही तीन काल ज्ञाता ।
भक्तन को सुख देती,
मातु पिता भ्राता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
जो जन ध्यान लगावे,
प्रेम शक्ति पाता ।
सकल मनोरथ पावे,
भवनिधि तर जाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
रोगों से जो पीड़ित कोई,
शरण तेरी आता ।
कोढ़ी पावे निर्मल काया,
अन्ध नेत्र पाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
बांझ पुत्र को पावे,
दारिद्र कट जाता ।
ताको भजै जो नाहीं,
सिर धुनि पछताता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
शीतल करती जननी,
तू ही है जग त्राता ।
उत्पत्ति व्याधि बिनाशन,
तू सब की घाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
दास विचित्र कर जोड़े,
सुन मेरी माता ।
भक्ति आपनी दीजै,
और न कुछ भाता ॥
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥
शीतला माता व्रत कथा
शीतला माता व्रत से संबंधित एक प्रचलित कथा कुछ इस प्रकार है – एक बार एक गांव में एक बूढ़ी औरत रहती थी। वह शीतला माता की परम भक्त थी। वह शीतला माता के सभी व्रत-त्योहार पूरे नियम और निष्ठा से किया करती थी। एक बार शीतलाष्टमी के ठीक एक दिन पहले उसके गांव में एक अन्य औरत आकर बस गई। नई औरत को जब बूढ़ी औरत के व्रत के बारे में पता चला तो वह उसका मज़ाक उड़ाने लगी।
इस बात का बूढ़ी औरत को बहुत दुख हुआ, पर उसने ईश्वर पर अपना भरोसा बनाए रखा और अगले दिन विधि-विधान से शीतलाष्टमी का व्रत किया। वहीं, दूसरी औरत ने नियमों का पालन नहीं किया और मांसाहारी भोजन बनाया। ऐसा करने से शीतला माता क्रुद्ध हो गईं। बूढ़ी औरत के सभी बेटे स्वस्थ रहे, वहीं नई औरत के सभी बच्चे चेचक जैसी बीमारी से पीड़ित होकर मृत्यु को प्राप्त हो गए।
जब नई औरत को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो वह बूढ़ी औरत के पास गई और माफी मांगी। इसके बाद उसने भी शीतला माता की प्रार्थना की और व्रत किया। इससे उसके मृत बच्चे भी जीवित हो गए। तभी से शीतला माता व्रत की महिमा और भी बढ़ गई है।
शीतला माता पूजा विधि
- सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर शीतला माता की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें।
- माता को जल, दूध, फूल, चंदन, रोली, धूप, दीप, फल, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- शीतला माता की आरती और चालीसा का पाठ करें।
- पूजा में शीतलाष्टमी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।
- अंत में सभी देवी-देवताओं से की गई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें।
शीतला माता पूजन सामग्री
- शीतला माता की प्रतिमा या तस्वीर
- रोली
- कुमकुम
- चावल
- फूल
- दूध
- जल
- पान के पत्ते
- सुपारी
- कपूर
- घी का दीपक
- इलायची, लौंग
- फल
- मिठाई
- बासी खाना (एक दिन पुराना)
शीतलामाता से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
- शीतला माता को ज्वर (बुखार) को शांत करने वाली देवी माना जाता है।
- उन्हें रोगों, विशेष रूप से त्वचा रोगों के निवारक के रूप में पूजा जाता है।
- ‘शीतला’ शब्द का अर्थ होता है – ‘जो ठंडक प्रदान करे’
- शीतला माता का मुख्य वाहन गर्दभ (गधा) है।
- माता अपने एक हाथ में कलश और दूसरे हाथ में झाड़ू लिए हुए हैं।
- कुछ स्थानों पर शीतला माता के साथ ज्वर के देवता घंटाकर्ण भी पूजे जाते हैं।
- हिंदू धर्म में शीतलाष्टमी विशेष रूप से उत्तर भारत में धूमधाम से मनाते हैं।
- नवरात्रि के दौरान सप्तमी और अष्टमी तिथियों पर कुछ स्थानों पर विशेष पूजा की जाती है।
शीतला माता का मंत्र
कई जगहों पर पूजा के दौरान शीतला माता के मंत्र का जाप किया जाता है। शीतला माता का सबसे प्रचलित मंत्र इस प्रकार है:
ॐ विरूपाक्षायै विद्महे सर्वरोग निवारिण्यै धीमहि। तन्नो शीतला प्रचोदयात्॥
शीतलाष्टमी पर क्या करें और क्या नहीं (Sheetalashtami Do’s and Don’ts)
क्या करें:
- शीतला माता का व्रत रखें और नियम पूर्वक पूजन करें।
- शीतला माता की कथा सुनें या पढ़ें।
- बासी भोजन (जो एक दिन पहले बना हो) ग्रहण करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और दान दें।
क्या न करें:
- गर्म या ताजा भोजन न करें।
- आग न जलाएं।
- चक्की, सिलबट्टे आदि का प्रयोग न करें।
- गुस्सा करने से बचें और घर के सदस्यों से प्रेम से पेश आएं।
शीतला माता से जुड़े भक्तों के अनुभव
भारत के कई हिस्सों में शीतला माता से जुड़े भक्तों के कई प्रकार के अनुभव सुनने को मिलते हैं। बहुत से श्रद्धालुओं का मानना है कि उनकी प्रार्थना सुनकर शीतला माता ने उनके परिवार को बीमारियों से बचाया है। कई लोग शीतला माता के व्रत से मन वांछित फल मिलने की बात भी करते हैं।
शीतला माता मंदिर
- शीतला माता मंदिर, गुड़गांव: दिल्ली से सटा गुड़गांव शीतला माता के प्राचीन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
- शीतला माता मंदिर, देवास: मध्य प्रदेश का देवास शीतला माता के दो महत्वपूर्ण मंदिरों (छोटी माता और बड़ी माता) के लिए जाना जाता है।
- शीतला माता मंदिर, वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित यह मंदिर भी बहुत लोकप्रिय है।
इसके अलावा देश के कई अन्य हिस्सों में जैसे राजस्थान, दिल्ली, बिहार, आदि में शीतला माता के कई मंदिर हैं।
शीतला माता पूजा के लाभ
- शीतला माता पूजा के प्रमुख लाभों में शामिल हैं:
- परिवार में सब स्वस्थ रहते हैं, रोगों से बचाव होता है।
- चेचक या अन्य संक्रामक बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।
- मन में शांति और सुख-समृद्धि का वास होता है।
- जीवन में आने वाली बाधाओं से रक्षा होती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q. शीतलाष्टमी कब मनाई जाती है?
A. शीतलाष्टमी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।
Q. बासी भोजन क्यों ग्रहण किया जाता है?
A. ऐसी मान्यता है कि बासी भोजन ग्रहण करने से शरीर में गर्मी नहीं होती, जिससे शीतला माता प्रसन्न होती हैं।
Q. क्या शीतला माता और दुर्गा माता एक ही हैं?
A. कई पुराणों में शीतला माता को देवी दुर्गा का ही एक रूप बताया गया है।
Q. क्या गर्भवती महिलाएं शीतला माता व्रत रख सकती हैं?
A. यह उनके और डॉक्टर के परामर्श पर निर्भर करता है। बेहतर है कि इस विषय पर डॉक्टर की सलाह लें।
निष्कर्ष
प्रिय पाठकों, मुझे आशा है शीतला माता के बारे में आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। शीतला माता भारतीय संस्कृति में रोगों से बचाने वाली एक महत्वपूर्ण देवी हैं। उनकी आराधना से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक शांति और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है। आप सभी को मेरी तरफ से शीतला माता के पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं!
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