श्री राम चालीसा (Shree Ram Chalisa): लाभ, महत्व, पाठ विधि, अर्थ, और भक्तों की कहानियां
श्री राम चालीसा भगवान राम को समर्पित एक अत्यंत लोकप्रिय भक्ति गीत है। तुलसीदास जी द्वारा रचित इस चालीसा में भगवान राम की शौर्य गाथा और जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन है। श्री राम चालीसा का पाठ भक्तों को असीम शांति और भगवान राम का आशीर्वाद प्रदान करता है।
श्री राम चालीसा का महत्व
- मन में शांति देता है: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मन को सच्ची शांति देने के लिए श्री राम चालीसा का पाठ बहुत लाभकारी है।
- रामकथा का सार है: इसमें भगवान राम के जीवन की प्रमुख घटनाओं का वर्णन है, जो हमें सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
- राम भक्ति को बढ़ाता है: श्री राम चालीसा से भक्त का हृदय भगवान राम के प्रति प्रेम और भक्ति से भर जाता है।
पाठ करने की विधि
- शुद्धिकरण: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना राम चालीसा के पाठ के लिए आवश्यक माना जाता है।
- योग्य स्थान: घर के मंदिर या किसी साफ जगह पर भगवान राम की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- दीपक एवं अगरबत्ती: राम जी के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें और अगरबत्ती जलाएं।
- मानसिक एकाग्रता: भगवान श्री राम का ध्यान अपने हृदय में करें।
- पाठ आरंभ करें: अब पूरी श्रद्धा और भक्ति से श्री राम चालीसा का पाठ शुरू करें।
श्री राम चालीसा की उत्पत्ति
कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री राम चालीसा की रचना उस समय की थी जब उन्हें मुगल शासन द्वारा जेल में डाल दिया गया था। भगवान राम की भक्ति में डूबे हुए, उन्होंने चालीसा की रचना की। उनकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर, हनुमान जी वानर सेना के साथ वहां पहुंचे और तुलसीदास जी को मुक्त करवाया।
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श्री राम चालीसा (पूर्ण पाठ)
॥ दोहा ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं॥
बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्।
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं॥।
॥ चौपाई ॥
श्री रघुबीर भक्त हितकारी।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई।
ता सम भक्त और नहीं होई॥
ध्यान धरें शिवजी मन मांही।
ब्रह्मा, इन्द्र पार नहीं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना।
जासु प्रभाव तिहुं पुर जाना॥
जय, जय, जय रघुनाथ कृपाला।
सदा करो संतन प्रतिपाला॥
तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं।
दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ भेद भरत हैं साखी।
तुम भक्तन की लज्जा राखी॥
गुण गावत शारद मन माहीं।
सुरपति ताको पार न पाहिं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई।
ता सम धन्य और नहीं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा।
महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा।
पावत कोऊ न तुम्हरो पारा॥ भरत नाम तुम्हरो उर धारो।
तासों कबहूं न रण में हारो॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी।
सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई।
युद्ध जुरे यमहूं किन होई॥
महालक्ष्मी धर अवतारा।
सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई।
जाको देखत चन्द्र लजाई॥
जो तुम्हरे नित पांव पलोटत।
नवो निद्धि चरणन में लोटत॥
सिद्धि अठारह मंगलकारी।
सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई।
सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा।
रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हरे चरणन चित लावै।
ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
सुनहु राम तुम तात हमारे।
तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुमहिं राजा।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे।
जय जय जय दशरथ के प्यारे॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरुपा।
नर्गुण ब्रहृ अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी।
सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै।
सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं।
तुमने भक्तिहिं सब सिधि दीन्हीं॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरुपा।
नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा।
नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन।
तुम ही हो हमरे तन-मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा।
सत्य वचन माने शिव मेरा॥
और आस मन में जो होई।
मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै।
सो नर सकल सिद्धता पावै॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै।
सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्ध हो जाय॥
पाठ का उत्तम समय
हालांकि श्री राम चालीसा का पाठ किसी भी दिन, कभी भी किया जा सकता है पर राम नवमी और मंगलवार को करना अति शुभ माना जाता है। अगर आप किसी मुश्किल समय से गुज़र रहे हैं, तो ऐसे समय में श्री राम चालीसा आपकी ज़रूर मदद करेगी।
भक्तों के अनुभव:
बहुत से भक्त हैं जिन्होंने श्री राम चालीसा की अद्भुत शक्ति का अनुभव किया है। एक भक्त ने बताया कि जब वे बहुत ही कठिन समय से गुज़र रहे थे, तब श्री राम चालीसा के निरंतर पाठ से उन्हें जीवन में फिर से आशा की किरण दिखाई दी। एक अन्य भक्त ने बताया कि जब वे बीमार थे, तब श्री राम चालीसा के पाठ से उन्हें शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हुआ।
आइए, प्रार्थना करें…
आइए, हम प्रभु राम से प्रार्थना करते हैं कि वे हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं।
रामकथा से जुड़ी अन्य रचनाएं:
- रामचरितमानस: गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह महाकाव्य भगवान राम के जीवन पर आधारित है।
- वाल्मीकि रामायण: महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित यह संस्कृत का महाकाव्य भी भगवान राम के जीवन पर आधारित है।
- अध्यात्म रामायण: गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह ग्रंथ रामचरितमानस का दार्शनिक विवेचन प्रस्तुत करता है।
- रामकथा: रामकथा भगवान राम के जीवन की विभिन्न घटनाओं पर आधारित कथाओं का संग्रह है।
टिप्पणी – यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि श्री राम चालीसा का पाठ केवल तभी फलदायी होता है जब इसे पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है।
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