श्री आदिनाथ चालीसा: भक्ति, आस्था और प्रथम तीर्थंकर की स्तुति

पर purva gudekar द्वारा प्रकाशित

Aadinath Chalisa

परिचय

नमस्कार दोस्तों! जैन धर्म की आस्था और भक्ति की पावन परंपरा में चालीसाओं का विशेष महत्व है। आज हम बात करेंगे श्री आदिनाथ चालीसा की, जो जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के प्रति समर्पित है। इस चालीसा को पूरी श्रद्धा के साथ पढ़ना और इसका अर्थ समझना क्या लाभ देता है? चलिए, इसी की चर्चा करते हैं।

जैन धर्म के अनुसार, श्री आदिनाथ, जिन्हें ऋषभदेव के नाम से भी जाना जाता है, चौबीस तीर्थंकरों में से पहले थे। उनका जन्म अयोध्या में राजा नाभिराज और रानी मरुदेवी के घर हुआ था। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने ही लोगों को खेती, कला, और शिल्प जैसे कौशल सिखाए, जिससे मानव सभ्यता का विकास हुआ। उनके चिह्न को वृषभ (बैल) के रूप में दर्शाया जाता है।

श्री आदिनाथ चालीसा

॥ दोहा॥
शीश नवा अरिहंत को,
सिद्धन को, करूं प्रणाम ।
उपाध्याय आचार्य का,
ले सुखकारी नाम ॥

सर्व साधु और सरस्वती,
जिन मन्दिर सुखकार ।
आदिनाथ भगवान को,
मन मन्दिर में धार ॥

॥ चौपाई ॥
जै जै आदिनाथ जिन स्वामी ।
तीनकाल तिहूं जग में नामी ॥

वेष दिगम्बर धार रहे हो ।
कर्मो को तुम मार रहे हो ॥

हो सर्वज्ञ बात सब जानो ।
सारी दुनियां को पहचानो ॥

नगर अयोध्या जो कहलाये ।
राजा नाभिराज बतलाये ॥4॥

मरुदेवी माता के उदर से ।
चैत वदी नवमी को जन्मे ॥

तुमने जग को ज्ञान सिखाया ।
कर्मभूमी का बीज उपाया ॥

कल्पवृक्ष जब लगे बिछरने ।
जनता आई दुखड़ा कहने ॥

सब का संशय तभी भगाया ।
सूर्य चन्द्र का ज्ञान कराया ॥8॥

खेती करना भी सिखलाया ।
न्याय दण्ड आदिक समझाया ॥

तुमने राज किया नीति का ।
सबक आपसे जग ने सीखा ॥

पुत्र आपका भरत बताया ।
चक्रवर्ती जग में कहलाया ॥

बाहुबली जो पुत्र तुम्हारे ।
भरत से पहले मोक्ष सिधारे ॥12॥

सुता आपकी दो बतलाई ।
ब्राह्मी और सुन्दरी कहलाई ॥

उनको भी विध्या सिखलाई ।
अक्षर और गिनती बतलाई ॥

एक दिन राजसभा के अंदर ।
एक अप्सरा नाच रही थी ॥

आयु उसकी बहुत अल्प थी ।
इसलिए आगे नहीं नाच रही थी ॥16॥

विलय हो गया उसका सत्वर ।
झट आया वैराग्य उमड़कर ॥

बेटो को झट पास बुलाया ।
राज पाट सब में बंटवाया ॥

छोड़ सभी झंझट संसारी ।
वन जाने की करी तैयारी ॥

राव हजारों साथ सिधाए ।
राजपाट तज वन को धाये ॥20॥

लेकिन जब तुमने तप किना ।
सबने अपना रस्ता लीना ॥

वेष दिगम्बर तजकर सबने ।
छाल आदि के कपड़े पहने ॥

भूख प्यास से जब घबराये ।
फल आदिक खा भूख मिटाये ॥

तीन सौ त्रेसठ धर्म फैलाये ।
जो अब दुनियां में दिखलाये ॥24॥

छै: महीने तक ध्यान लगाये ।
फिर भजन करने को धाये ॥

भोजन विधि जाने नहि कोय ।
कैसे प्रभु का भोजन होय ॥

इसी तरह बस चलते चलते ।
छः महीने भोजन बिन बीते ॥

नगर हस्तिनापुर में आये ।
राजा सोम श्रेयांस बताए ॥28॥

याद तभी पिछला भव आया ।
तुमको फौरन ही पड़धाया ॥

रस गन्ने का तुमने पाया ।
दुनिया को उपदेश सुनाया ॥

पाठ करे चालीसा दिन ।
नित चालीसा ही बार ॥

चांदखेड़ी में आय के ।
खेवे धूप अपार ॥32॥

जन्म दरिद्री होय जो ।
होय कुबेर समान ॥

नाम वंश जग में चले ।
जिनके नहीं संतान ॥

तप कर केवल ज्ञान पाया ।
मोक्ष गए सब जग हर्षाया ॥

अतिशय युक्त तुम्हारा मन्दिर ।
चांदखेड़ी भंवरे के अंदर ॥36॥

उसका यह अतिशय बतलाया ।
कष्ट क्लेश का होय सफाया ॥

मानतुंग पर दया दिखाई ।
जंजीरे सब काट गिराई ॥

राजसभा में मान बढ़ाया ।
जैन धर्म जग में फैलाया ॥

मुझ पर भी महिमा दिखलाओ ।
कष्ट भक्त का दूर भगाओ ॥40॥

॥ सोरठा ॥
पाठ करे चालीसा दिन,
नित चालीसा ही बार ।
चांदखेड़ी में आय के,
खेवे धूप अपार ॥

जन्म दरिद्री होय जो,
होय कुबेर समान ।
नाम वंश जग में चले,
जिनके नहीं संतान ॥

श्री आदिनाथ चालीसा का महत्व

  • मन की शांति: श्री आदिनाथ चालीसा का जाप मन को आंतरिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  • इच्छाओं की पूर्ति: माना जाता है कि सच्चे मन से चालीसा का पाठ करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • भक्ति का मार्ग: यह चालीसा भगवान आदिनाथ के प्रति भक्ति भाव को मजबूत करती है।
  • नकारात्मकता से मुक्ति: इसके नियमित जाप से नकारात्मक विचार कम होते हैं और जीवन में सकारात्मकता आती है।

चालीसा पाठ की विधि

  1. शुद्धिकरण: पाठ से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
  2. पूजा स्थान: एक साफ और शांत जगह पर पूजा का आसन लगाएं।
  3. भगवान आदिनाथ की प्रतिमा/चित्र: भगवान आदिनाथ की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  4. पूजन सामग्री: अगरबत्ती, दीपक, फूल, चंदन, अक्षत (चावल), आदि पूजा सामग्री इकट्ठी करें।
  5. पाठ और अर्थ: पूरी श्रद्धा से चालीसा का पाठ करें और हर दोहे के बाद इसके अर्थ पर चिंतन करें।

श्री आदिनाथ से जुड़ी भक्त कथाएं

जैन धर्म की कई कथाएं हैं जो भगवान आदिनाथ की महिमा और भक्तों के प्रति उनकी करुणा को दर्शाती हैं। ऐसी ही एक लोकप्रिय कथा… [प्रसिद्ध कथा का वर्णन]

श्री आदिनाथ चालीसा पाठ के लाभ

  • बाधाओं का निवारण
  • भय से मुक्ति
  • रोगों में लाभ
  • धन और समृद्धि की प्राप्ति
  • मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

  • श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ करने का सबसे अच्छा समय क्या है? सुबह जल्दी स्नान के बाद इस चालीसा का पाठ करना सबसे अच्छा माना जाता है। हालांकि, इसे दिन में किसी भी समय शुद्ध मन से किया जा सकता है।
  • क्या चालीसा पाठ के लिए कोई विशेष नियम हैं? श्रद्धा और भक्ति भाव सबसे महत्वपूर्ण है। शाकाहारी भोजन ग्रहण करना और पाठ के समय मन में एकाग्रता भी जरूरी है।
  • मैं श्री आदिनाथ चालीसा की पुस्तक कहां से प्राप्त कर सकता हूं? यह चालीसा आपको किसी भी जैन मंदिर या धार्मिक पुस्तक की दुकान पर मिल जाएगी। ऑनलाइन भी आप इसे ढूंढ सकते हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों, श्री आदिनाथ चालीसा की भक्ति में अपार शक्ति है। अपने जीवन में उन्नति और मन की शांति के लिए इसका नित्य पाठ अवश्य कीजिए। श्री आदिनाथ भगवान की जय!


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