सूर्य चालीसा: भगवान सूर्य की महिमा का गायन

पर purva gudekar द्वारा प्रकाशित

Surya Chalisa

नमस्कार दोस्तों! क्या आपको पता है कि सूर्य देवता को समर्पित एक विशेष स्तुति है? ‘सूर्य चालीसा’ एक अद्भुत प्रार्थना है जो सूर्य भगवान की शक्ति और कृपा का गुणगान करती है। इस शक्तिशाली चालीसा के नियमित पाठ से, हम स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक जागृति जैसे अनेक आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आइए गहराई से जानते हैं सूर्य चालीसा के महत्व और लाभ के बारे में…

सूर्य चालीसा

श्री सूर्य देव चालीसा ॥
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर,
सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥

भानु पतंग मरीची भास्कर,
सविता हंस सुनूर विभाकर॥

विवस्वान आदित्य विकर्तन,
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥

अम्बरमणि खग रवि कहलाते,
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 4

सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि,
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥

अरुण सदृश सारथी मनोहर,
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥

मंडल की महिमा अति न्यारी,
तेज रूप केरी बलिहारी॥

उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते,
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥8

मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर,
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥

पूषा रवि आदित्य नाम लै,
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥

द्वादस नाम प्रेम सों गावैं,
मस्तक बारह बार नवावैं॥

चार पदारथ जन सो पावै,
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥12

नमस्कार को चमत्कार यह,
विधि हरिहर को कृपासार यह॥

सेवै भानु तुमहिं मन लाई,
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥

बारह नाम उच्चारन करते,
सहस जनम के पातक टरते॥

उपाख्यान जो करते तवजन,
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥16

धन सुत जुत परिवार बढ़तु है,
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥

अर्क शीश को रक्षा करते,
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत,
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥

भानु नासिका वासकरहुनित,
भास्कर करत सदा मुखको हित॥20

ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे,
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥

कंठ सुवर्ण रेत की शोभा,
तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥

पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर,
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥

युगल हाथ पर रक्षा कारन,
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥24

बसत नाभि आदित्य मनोहर,
कटिमंह, रहत मन मुदभर॥

जंघा गोपति सविता बासा,
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥

विवस्वान पद की रखवारी,
बाहर बसते नित तम हारी॥

सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै,
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥28

अस जोजन अपने मन माहीं,
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥

दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै,
जोजन याको मन मंह जापै॥

अंधकार जग का जो हरता,
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥

ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही,
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥32

मंद सदृश सुत जग में जाके,
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥

धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा,
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों,
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥

परम धन्य सों नर तनधारी,
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥36

अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन,
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥

भानु उदय बैसाख गिनावै,
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥

यम भादों आश्विन हिमरेता,
कातिक होत दिवाकर नेता॥

अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं,
पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥40

॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥

सूर्य चालीसा क्या है?

सूर्यचालीसा भगवान सूर्य की भक्ति में रचित एक भक्तिमय रचना है। इसमें भगवान सूर्य की महिमा, उनके विभिन्न रूपों, उनके गुणों और उनके कार्यों का वर्णन 40 चौपाइयों में किया गया है।

सूर्यदेव का हिंदू धर्म में महत्व:

हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को देवताओं का देवता माना जाता है। वे जीवन, ऊर्जा और प्रकाश के देवता हैं। वे ब्रह्मांड के संचालक हैं और सभी ग्रहों, सितारों और नक्षत्रों को नियंत्रित करते हैं। भगवान सूर्य को आदित्य, सविता, सूर्यनारायण, भास्कर और मित्र जैसे अनेक नामों से भी जाना जाता है।

रचना और रचनाकार:

चालीसा की रचना किसने की है, इस बारे में अलग-अलग मत हैं। कुछ लोगों का मानना ​​है कि इसकी रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी, जबकि अन्य का मानना ​​है कि यह संत मीराबाई या गोस्वामी तुलसीदास की रचना है।

सूर्य चालीसा का पाठ करने की विधि:

सूर्यचालीसा का पाठ किसी भी शुभ दिन किया जा सकता है, लेकिन रविवार को इसका विशेष महत्व होता है।

पूजन सामग्री:

  • दीपक
  • कपूर
  • धूप
  • फूल
  • फल
  • मिठाई
  • जल

पाठ करने का सही समय:

सूर्य चालीसा का पाठ प्रातःकाल सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के समय करना शुभ माना जाता है।

चालीसा पाठ के लिए आसन और दिशा के बारे में निर्देश:

सूर्यचालीसा का पाठ पूर्व या पश्चिम दिशा में मुख करके बैठकर करना चाहिए। आसन के लिए आप कुर्सी, आसन या चौकी का उपयोग कर सकते हैं।

सूर्य चालीसा का महत्व और लाभ:

सूर्यचालीसा का पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

स्वास्थ्य लाभ:

  • रोगों से मुक्ति
  • आयुष्य वृद्धि
  • नेत्र ज्योति में वृद्धि
  • तंदुरुस्ती

आत्मविश्वास और सकारात्मकता को बढ़ाता है:

सूर्य चालीसा का पाठ करने से आत्मविश्वास और सकारात्मकता में वृद्धि होती है।

बाधाओं को दूर करता है:

सूर्य चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

आध्यात्मिक उन्नति:

सूर्य चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है।

अन्य संभावित लाभ:

  • धन प्राप्ति
  • विद्या प्राप्ति
  • संतान प्राप्ति
  • वैवाहिक सुख

सूर्य चालीसा से सम्बंधित FAQs:

प्रश्न: सूर्य चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए? उत्तर: सूर्य चालीसा का पाठ आप अपनी इच्छानुसार जितनी बार भी कर सकते हैं।

प्रश्न: क्या सूर्य चालीसा का पाठ करते समय मांसाहारी भोजन करना चाहिए? उत्तर: नहीं, सूर्य चालीसा का पाठ करते समय मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए।

प्रश्न: क्या सूर्य चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष माला की आवश्यकता होती है? उत्तर: नहीं, सूर्य चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष माला की आवश्यकता नहीं होती है। आप किसी भी माला का उपयोग कर सकते हैं।

निष्कर्ष

सूर्य चालीसा हिंदू भक्ति की एक सुंदर और शक्तिशाली अभिव्यक्ति है। यह श्रद्धा का एक काव्यात्मक कार्य है, जो ब्रह्मांड में जीवन देने वाले सूर्य देव का गुणगान करता है। सूर्य चालीसा का नियमित पाठ भक्तों में श्रद्धा और विश्वास जगाने का काम करता है, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। यह स्वास्थ्य, समृद्धि, ज्ञान और आध्यात्मिक जागृति प्रदान करने की शक्ति रखता है।

चाहे कोई सूर्य की शारीरिक उपस्थिति को पूजनीय मानता है या इसे दिव्य के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व के रूप में, सूर्य चालीसा के माध्यम से व्यक्त की गई भक्ति अंततः ब्रह्मांड की ऊर्जा के साथ सम्मान और संरेखण का प्रतीक है। यह हमें जीवन के स्रोत और पोषक के साथ हमारे अंतर्संबंध की याद दिलाता है।


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