संतोषी माता चालीसा (Santoshi Mata Chalisa)

पर Akhilesh Gupta द्वारा प्रकाशित

santoshi chalisa

Introduction

मां संतोषी, संतोष और आंतरिक शांति की देवी हैं। उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त नियमित रूप से संतोषी माता चालीसा का पाठ करते हैं। यह चालीसा एक भक्ति स्तोत्र है जो माता की स्तुति करता है और उनसे कृपा और आशीर्वाद मांगता है।

संतोषी माता चालीसा का महत्व

माना जाता है, संतोषी माता चालीसा का पाठ करने से कई लाभ होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • मन की शांति मिलती है।
  • भक्तों के जीवन की संतुष्टि और परिपूर्णता बढ़ती है।
  • मां संतोषी की कृपा से कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

संतोषी माता चालीसा के पाठ की विधि

संतोषी माता चालीसा का पाठ सबसे शुभ दिन शुक्रवार को किया जाता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • देवी के सामने दीपक जलाएं।
  • मां संतोषी को गुड़ और चने का प्रसाद चढ़ाएं।
  • पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ चालीसा का पाठ करें।

संतोषी माता चालीसा

॥ दोहा ॥

बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार।
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार॥
भक्तों को संतोष दे संतोषी तव नाम।
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम॥

॥ चालीसा ॥

जय सन्तोषी मात अनुपम।
शांति दायिनी रूप मनोरम॥
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूप।
वेश मनोहर ललित अनुपा॥

श्वेताम्बर रूप मनहारी।
माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी॥
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन।
दर्शन से हो संकटमोचन॥

जय गणेश की सुता भवानी।
रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी॥
अगम अगोचर तुम्हरी माया।
सब पर करो कृपा की छाया॥

नाम अनेक तुम्हारे माता।
अखिल विश्‍व है तुमको ध्याता॥
तुमने रूप अनेकों धारे।
को कहि सके चरित्र तुम्हारे॥

धाम अनेक कहाँ तक कहिये।
सुमिरन तब करके सुख लहिये॥
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी।
कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी॥

कलकत्ते में तू ही काली।
दुष्ट नाशिनी महाकराली॥
सम्बल पुर बहुचरा कहाती।
भक्तजनों का दुख मिटाती॥

ज्वाला जी में ज्वाला देवी।
पूजत नित्य भक्त जन सेवी॥
नगर बम्बई की महारानी।
महा लक्ष्मी तुम कल्याणी॥

मदुरा में मीनाक्षी तुम हो।
सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो॥
राजनगर में तुम जगदम्बे।
बनी भद्रकाली तुम अम्बे॥

पावागढ़ में दुर्गा माता।
अखिल विश्व तेरा यश गाता॥
काशीपुराधीश्वरी माता।
अन्नपूर्णा नाम सुहाता॥

सर्वानंद करो कल्याणी।
तुम्हीं शारदा अमृतवाणी॥
तुम्हरी महिमा जल में थल में।
दुःख दारिद्र सब मेटो पल में॥

जेते ऋषि और मुनीशा।
नारद देव और देवेशा।
इस जगती के नर और नारी।
ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी॥

जापर कृपा तुम्हारी होती।
वह पाता भक्ति का मोती॥
दुःख दारिद्र संकट मिट जाता।
ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता॥

जो जन तुम्हरी महिमा गावै।
ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै॥
जो मन राखे शुद्ध भावना।
ताकी पूरण करो कामना॥

कुमति निवारि सुमति की दात्री।
जयति जयति माता जगधात्री॥
शुक्रवार का दिवस सुहावन।
जो व्रत करे तुम्हारा पावन॥

गुड़ छोले का भोग लगावै।
कथा तुम्हारी सुने सुनावे॥
विधिवत पूजा करे तुम्हारी।
फिर प्रसाद पावे शुभकारी॥

शक्ति- सामरथ हो जो धनको।
दान- दक्षिणा दे विप्रन को॥
वे जगती के नर औ नारी।
मनवांछित फल पावें भारी॥

जो जन शरण तुम्हारी जावे।
सो निश्‍चय भव से तर जावे॥
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे।
निश्‍चय मनवांछित वर पावै॥

सधवा पूजा करे तुम्हारी।
अमर सुहागिन हो वह नारी॥
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा।
भवसागर से उतरे पारा॥

जयति जयति जय संकट हरणी।
विघ्न विनाशन मंगल करनी॥
हम पर संकट है अति भारी।
वेगि खबर लो मात हमारी॥

॥ दोहा ॥

संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास।
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास॥

॥ इति श्री संतोषी माता चालीसा ॥

संतोषी माता पूजन सामग्री

  • संतोषी माता की मूर्ति या तस्वीर
  • फूल और फूलों की माला
  • धूप, अगरबत्ती
  • दीपक (तेल या घी के साथ)
  • रोली और कुमकुम
  • प्रसाद – गुड़ और चना
  • संतोषी माता व्रत कथा की किताब

निष्कर्ष

संतोषी माता चालीसा जीवन में संतोष और शांति प्राप्त करने का शक्तिशाली तरीका है। इसको नियमित रूप से जपने से, निश्चित ही भक्तों को मां संतोषी का आशीर्वाद मिलता है।


0 टिप्पणियाँ

प्रातिक्रिया दे

Avatar placeholder

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

hi_INहिन्दी